Edited By Nitika, Updated: 17 Nov, 2023 04:44 PM
जल-जीवन-हरियाली अभियान, पटनाः पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के विभिन्न तत्वों के महत्ता को फिर से लोग समझने लगे हैं। सनातन परंपरा में प्रकृति की पूजा का प्रचलन शुरु से है।
पटनाः जल-जीवन-हरियाली अभियान, पटनाः पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के विभिन्न तत्वों के महत्ता को फिर से लोग समझने लगे हैं। सनातन परंपरा में प्रकृति की पूजा का प्रचलन शुरु से है। वर्ष के कोई न कोई दिन देवता पूजन के साथ-साथ प्रकृति पूजन जरुर हुआ करता है। इस पृथ्वी के सजीवों की साक्षात निर्भरता सूर्य और जल पर टिकी हुई है। उनके आराधना का पर्व पवित्रता के साथ-साथ सादगी का प्रतीक भी है। हिंदू धर्म का प्राचीन त्योहार छठ महापर्व सूर्य भगवान और गंगा मां को समर्पित है।
जल और हरियाली है तभी जीवन सुरक्षित है
राज्य में सदियों से छठ महापर्व को पूरे उत्साह और भक्ति भाव से मनाया जाता है। प्राचीन ऋग्वेद ग्रंथों और सूर्य की पूजा के लिए विभिन्न प्रकार की चर्चाएं मिलती है। इससे साफ जाहिर होता है कि इस महापर्व में प्रकृति का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। समय के साथ पर्यवारण पूरी तरह से प्रभावित होता चला जा रहा था। वनों की कटाई होने से जल संकट उत्पन्न होने लगा था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसको लेकर काफी संवेदनशील हुए और उन्होंने इसे बहुत ही गहराई से महसूस किया। अब के समय में मुख्यमंत्री का जल-जीवन-हरियाली अभियान पूरी तरह से और सार्थक साबित हो रहा है। जल है और हरियाली है तभी जीवन सुरक्षित है।
प्रकृति के प्रति लोगों की बढ़ी है संवेदनशीलता
पूरा विश्व प्रकृति विमुख मानवीय गतिविधियों, विकास की असंतुलित अवधारणाओं एवं प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण पारिस्थितिकीय असंतुलन का संकट संपूर्ण मानव जाति के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। इससे निपटने के लिए आहर, पईन, नदी, तालाब, पोखर, कुओं को संरक्षित करने के साथ ही बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जा रहा है, जिससे हमारा जीवन सुरक्षित होने के साथ छठ महापर्व को मनाने में भी सहुलियत हो रही है।
पर्यावरण संरक्षण के साथ अभियान बना आमदनी का जरिया
राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए ठोस प्रयास शुरू किया गया। जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत 09 अगस्त, 2019 को की गई थी। इस अभियान से किसानों को भी कृषि कार्य में सुविधा हो रही है जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ने लगी है। सिंचाई, वृक्षारोपण, बागवानी और फूलों की खेती, चारागाह विकास, मत्स्य पालन, आदि के प्रयोजनों के लिए वर्षा के पानी की हर बूंद का संचयन जरुरी है।
पर्यावरण को संरक्षित रखने तथा जल संचयन के लिए अभियान चलाया जा रहा है। हर स्तर पर लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बिहार में जल संचयन से पीने के पानी से लेकर पेड़-पौधों सहित जीव-जंतुओं के जीवन को भी सुगम बना रहा है। ऐसे में देखी जाए तो छठ महापर्व जैसे मौके पर जल-जीवन-हरियाली की सार्थकता देखने को मिल रही है।