बत्तख मियां ने ऐसे बचाई थी महात्मा गांधी की जान, आज तक परिवार को चुकानी पड़ रही है कीमत

Edited By Nitika, Updated: 12 Aug, 2022 06:03 PM

duck mian saved mahatma gandhi s life like this

बात 1917 की है, किसानों पर अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचार को देखते हुए चंपारण के ही राजकुमार पंडित जी के बुलाने पर महात्मा गांधी चंपारण आए थे। इस दौरान महात्मा गांधी ने लोगों की परेशानी सुनी। साथ ही अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की तैयारी करने लगे, जिसे...

पटनाः क्या आप जानते हैं कि बिहार में भी महात्मा गांधी की हत्या करने की कोशिश की गई थी, जी हां, यह एकदम सत्य है। महात्मा गांधी जब चंपारण यात्रा पर आए हुए थे तो अंग्रेजों ने महात्मा गांधी को मारने की साजिश रची हुई थी लेकिन बत्तख मियां ने महात्मा गांधी की जान बचा ली। इसके बाद बत्तख मियां के परिवार पर अंग्रेजों द्वारा बड़े जुल्म ढहाए गए। इतना ही नहीं गांधी जी को बचाने की कीमत उन्हें और उनके परिवार को आज तक चुकानी पड़ रही है।

चलिए जानते हैं कि कैसे बत्तख मियां द्वारा महात्मा गांधी की जान बचाई गई।

बात 1917 की है, किसानों पर अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचार को देखते हुए चंपारण के ही राजकुमार पंडित जी के बुलाने पर महात्मा गांधी चंपारण आए थे। इस दौरान महात्मा गांधी ने लोगों की परेशानी सुनी। साथ ही अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की तैयारी करने लगे, जिसे देखकर अंग्रेजों ने महात्मा गांधी को जान से मारने की साजिश रची। गांधी जी ने अंग्रेज कलेक्टर के आग्रह को भी किया था स्वीकार तात्कालिक मोतिहारी के अंग्रेज कलेक्टर हिकॉक ने महात्मा गांधी से मोतिहारी आने का आग्रह किया।
 

गांधी जी ने आग्रह स्वीकार कर लिया और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ वहां गए।

उस समय मोतिहारी से कुछ किलोमीटर दूर सिसवा अजगरी के रहने वाले बत्तख मियां अंसारी, इरविन के रसोईया हुआ करते थे। इरविन ने बापू के खाने में जहर देने के लिए बत्तख मियां को तैयार किया। अंग्रेजों ने गांधी जी को दूध देने को कहा और दूध में जहर था। इसलिए उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को इशारों में बताया तो डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गांधीजी को दूध पीने से रोक लिया। इस कारण महात्मा गांधी की जान तो बच गई पर अंग्रेजों ने बत्तख मियां के परिवार के लोगों को प्रताड़ित किया। साथ ही उन्हें 17 साल जेल में रहना पड़ा था।

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प्रथम राष्ट्रपति बने तो चंपारण पहुंचे डॉ. राजेंद्र प्रसाद

बत्तख मियां के पोते ने बताया कि देश आजाद होने के बाद जब तत्कालीन राजेंद्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति बने तो वह मोतिहारी जनसभा को संबोधित करने आए थे। साथ ही दादा जी से मिलने के लिए उनके घर पर आए पर उनकी मृत्यु हो चुकी थी। इसके बाद उन्होंने मेरी मां से सरकारी खजाना खाली होने की बात कही फिर मेरी मां ने अपने गहने उन्हें दे दिए और उन्होंने एक रसीद दी, जो आज भी है। इसके बाद उन्होंने 35 एकड़ जमीन देने के निर्देश दिए पर केवल 6 एकड़ जमीन मिली, वो भी नदी किनारे होने के कारण बह गई। अब केवल 10 कट्ठा जमीन बची हुई है।

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बता दें कि अब बत्तख मियां के पोते कलाम मियां ने मांग करते हुए कहा है कि उन्हें रहने के लिए घर और खेती करने के लिए जमीन दी जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो उन्हें मजबूरन आत्महत्या करनी पड़ेगी।

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