Edited By Ramanjot, Updated: 01 Sep, 2025 07:47 PM

सहकारिता विभाग द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों के कुल 146 पैक्सों को e-PACS घोषित करने के साथ ही अब राज्य में e-PACS की संख्या बढ़कर अब 1992 हो गई है।
पटना:सहकारिता विभाग द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों के कुल 146 पैक्सों को e-PACS घोषित करने के साथ ही अब राज्य में e-PACS की संख्या बढ़कर अब 1992 हो गई है। पैक्स कम्प्यूटरीकरण योजना के तहत प्रथम चरण में राज्य के कुल 4477 पैक्सों का चयन e-PACS घोषित करने हेतु किया गया है। अगले चरण में बिहार के सभी पंचायत क्षेत्र के पैक्सों का कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है।
मंत्री, सहकारिता विभाग, डॉ० प्रेम कुमार ने कुल 1992 पैक्सों को e-PACS घोषित किये जाने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि "बिहार सरकार पैक्सों को पारदर्शी, जवाबदेह और आधुनिक बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। पैक्स कम्प्यूटरीकरण से न केवल किसानों को त्वरित सेवा मिलेगी, बल्कि सहकारी संस्थाओं की वित्तीय स्थिति भी सुदृढ़ होगी। शीघ्र ही सभी पैक्सों को e-PACS में परिवर्तित कर दिया जाएगा, जिससे सहकारिता आंदोलन को एक नई दिशा मिलेगी।"
e-PACS घोषित कुल 1992 पैक्सों में सभी व्यापारिक लेन-देन (Business Transactions), खातों (Accounts), बहियों (Books), पंजियों (Registers) एवं वित्तीय विवरणों (Financial Statements) का संधारण डिजिटल रूप में संबंधित पैक्स के प्रबंधक द्वारा किया जाना है, तथा अब पैक्स प्रबंधक के साथ इस कार्य में संबंधित पैक्स क्षेत्र के कार्यपालक सहायक एवं सहकारिता प्रसार पदाधिकारी के द्वारा ERP सॉफ्टवेयर पर प्रतिदिन Day Open और Day End कराने की जिम्मेवारी दी गई है। e-PACS Only घोषित 1992 में से 1065 e-PACS में Dynamic Day End किया जा रहा है। अन्य e-PACS में भी दैनिक रूप से Dynamic Day End करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही उनका वार्षिक एवं वैधानिक अंकेक्षण भी अब Centrally Sponsored Project for Computerization of PACS (CSPCP) के अन्तर्गत e-PACS सॉफ्टवेयर पर डिजिटल रूप से किया जाएगा।
पैक्स कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से राज्य के पैक्सों के कार्यों को सुगम, आसान एवं पारदर्शी बनाना सम्भव हुआ है। इसके माध्यम से पैक्सों के रिकॉर्ड संधारण में काफी सुविधा हुई है तथा पैक्सों में अनियमितता एवं धोखाधड़ी पर रोक लगाना सम्भव हो सका है तथा पैक्सों के डाटा प्रबंधन में भी काफी आसानी हुई है। किसानों के रिकॉर्ड, ऋण की जानकारी और अन्य वित्तीय डेटा को डिजिटल रूप में सहेजने में मदद मिली है। पैक्स कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से पैक्स अन्य सहकारी समितियों और सरकारी विभागों से आसानी से जुड़ पाये हैं।
पैक्स कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा मिला है। अब किसानों के बैंक खातों में सीधे फंड ट्रान्सफर करने की भी सुविधा उपलब्ध हुई है। पैक्सों के प्रदर्शन को मॉनिटर करना और उसके प्रगति को आकलन करना भी अब बहुत आसान हो गया है। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिला है।
बिहार में पैक्सों के कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से न केवल पैक्सों के कार्य में पारदर्शिता आयी है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब किसानों, मजदूरों को भी विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त हो रहे है। पैक्स कम्प्यूटरीकरण योजना से बिहार राज्य में 'सहकार से समृद्धि' का कार्यान्वयन सम्भव हो पा रहा है।