पटना HC का शराबबंदी पर बड़ा फैसला, कहा-  ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट के आधार पर दर्ज  FIR नहीं होगी मान्य

Edited By Harman, Updated: 18 Feb, 2025 12:05 PM

fir registered on the basis of breath analyser report not valid patna hc

बिहार में पिछले 9 सालों से शराबबंदी (liquor Ban in Bihar) लागू है, जिसके चलते यहां शराब का सेवन करना गैरकानूनी है। वहीं यदि कोई व्यक्ति शराब पीता है तो ब्रेथ एनालाइजर के द्वारा जांच कर व्यक्ति पर कार्रवाई की जाती है। लेकिन अब इस संबंधी पटना...

Patna High Court: बिहार में पिछले 9 सालों से शराबबंदी (liquor Ban in Bihar) लागू है, जिसके चलते यहां शराब का सेवन करना गैरकानूनी है। वहीं यदि कोई व्यक्ति शराब पीता है तो ब्रेथ एनालाइजर के द्वारा जांच कर व्यक्ति पर कार्रवाई की जाती है। लेकिन अब इस संबंधी पटना हाईकोर्ट(Patna High court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि शराबबंदी कानून के तहत केवल ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट (breath analyser report) के आधार पर दर्ज हुई प्राथमिकी अवैध मानी जाएगी। 

खून व पेशाब जांच की रिपोर्ट से पुष्टि हो

पटना हाईकोर्ट ने कहा कि ब्रेथ एनालाइजर मशीन की रिपोर्ट किसी व्यक्ति के शराब सेवन करने की कोई पुख्ता सबूत नहीं देती, इसलिए केवल इस आधार पर दर्ज हुई प्राथमिकी शराब बंदी कानून में अमान्य होगी। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खून व पेशाब जांच की रिपोर्ट से भी पुष्टि हो कि आरोपी के शरीर में एल्कोहोल की मात्रा है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि दर्ज प्राथमिकी आरोपी के असामान्य व्यवहार जैसे लड़खड़ाती जबान या चढ़ी हुई आंखे जैसे हालात से भी समर्थित होनी चाहिए, तभी शराब बंदी कानून के तहत प्राथमिकी मान्य व वैध होगी। 

पटना HC ने रद्द की FIR

बता दें कि पिछले साल नरेंद्र कुमार राम नामक व्यक्ति के खिलाफ शराब सेवन के आरोप में किशनगंज एक्साइज थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह प्राथमिकी ब्रेथ एनालाइजर की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी। वहीं नरेंद्र कुमार ने इस संबंधी पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। नरेंद्र कुमार ने बताया कि उन्हें पेट में संक्रमण की शिकायत थी। वह करीब 15 दिनों से होम्योपैथिक दवा ले रहे थे। वहीं ब्रेथ एनालाइजर ने होम्योपैथिक दवा में मौजूद अल्कोहल को संवेदन कर रिपोर्ट में शराब सेवन की पुष्टि कर दी। जिससे  एक्साइज अधिकारियों ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली, साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा कि प्राथमिकी में असामान्य व्यवहार जैसे लड़खड़ाती जबान या चढ़ी हुई आंखे जैसे बातों का भी जिक्र नही है। वहीं अब कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलें सुनते हुए उसके खिलाफ दर्ज हुई प्राथमिकी को रद्द कर दिया।

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