बिहार चुनाव से पहले जीतनराम मांझी का बड़ा दांव! सीटों की दावेदारी पर सियासी घमासान

Edited By Ramanjot, Updated: 13 Feb, 2025 05:23 PM

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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जीतनराम मांझी ने अपनी पार्टी की सीटों की दावेदारी को लेकर साफ संकेत दे दिए हैं। झारखंड और दिल्ली चुनावों में किनारे किए जाने के बाद अब मांझी ने बिहार में अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने का ऐलान कर दिया है।

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जीतनराम मांझी ने अपनी पार्टी की सीटों की दावेदारी को लेकर साफ संकेत दे दिए हैं। झारखंड और दिल्ली चुनावों में किनारे किए जाने के बाद अब मांझी ने बिहार में अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने का ऐलान कर दिया है। उनका दावा है कि राज्य में उनकी मजबूत पकड़ है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन समेत तमाम नेता इस आयोजन की तैयारियों में जुटे हैं।

राजद-कांग्रेस ने साधा निशाना, एनडीए में दरार के संकेत?

मांझी के शक्ति प्रदर्शन को लेकर राजद और कांग्रेस ने तंज कसना शुरू कर दिया है। राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि चाहे जितना भी प्रदर्शन कर लिया जाए, भाजपा का समर्थन चिराग पासवान को ही मिलेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नीतीश कुमार की राजनीति को कमजोर करने के लिए चिराग पासवान का इस्तेमाल कर रही है।

कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. स्नेहाशीष वर्धन पांडेय ने इसे एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर अंदरूनी कलह का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि एनडीए नेताओं की हालिया बैठक में मांझी को दरकिनार कर दिया गया था, जिससे वे अब अपनी ताकत दिखाने में जुटे हैं। यह भी साफ है कि एनडीए के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा और सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ सख्त रुख अपना रहे हैं।

जेडीयू और भाजपा ने मांझी को बताया एनडीए का अहम चेहरा

जेडीयू प्रवक्ता मनीष यादव ने मांझी के इस आयोजन को स्वागत योग्य बताया और कहा कि वे एनडीए परिवार का मजबूत हिस्सा हैं। वहीं, भाजपा प्रवक्ता नीरज कुमार ने दावा किया कि दलित और ओबीसी वोट बैंक एनडीए के साथ हैं और मांझी तथा चिराग दोनों मिलकर गठबंधन को और मजबूत कर रहे हैं।

राजनीतिक समीकरण: मांझी Vs चिराग की पुरानी रंजिश फिर गरमाई

राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडे का मानना है कि मांझी का यह कार्यक्रम पूरी तरह से चुनावी रणनीति के तहत हो रहा है। उन्होंने चिराग पासवान और मांझी के बीच के पुराने विवादों का भी जिक्र किया। चिराग पहले भी कोटा मुद्दे पर मांझी से अलग रुख अपना चुके हैं और बिहार उपचुनाव में मांझी के समर्थन में प्रचार करने से भी बचते रहे। लेकिन अंततः, नीतीश कुमार को चुनाव में अपने वोट बैंक को साधना ही होगा, भले ही एनडीए में अंदरूनी मतभेद हों। मांझी की यह शक्ति प्रदर्शन रैली सिर्फ गठबंधन की मजबूती के लिए नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक हैसियत दिखाने का भी प्रयास है। अब देखना यह होगा कि चुनाव से पहले एनडीए में सीटों का बंटवारा किस करवट बैठता है।

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