कैमूर का हरसू ब्रह्म धाम...जहां भूत-प्रेत से मिलती है मुक्ति, देश के हर कोने से पहुंचते हैं भक्त

Edited By Ramanjot, Updated: 19 Apr, 2022 02:25 PM

kaimur s harsu brahma dham where one gets freedom from ghosts

हरसू ब्रह्म धाम को पूरे देश में सुप्रीम कोर्ट के नाम से जाना जाता है। इस धाम में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है। पिछले 650 सालों से यहां भूतों का मेला लग रहा है। प्रेत आत्माओं की बुरी नजर से लोगों को यहां बचाया जाता है। बिहार के अलावा...

कैमूरः 21वीं शताब्दी का ये युग विज्ञान का युग है, अगर इस युग में कोई आपसे भूत और प्रेत की बात करें तो शायद आप उस पर विश्वास नहीं करेंगे, लेकिन कैमूर जिले के चैनपुर स्थित हरसु ब्राह्मधाम में ऐसा मेला लगता है जिसे लोग भूतों का मेला कहते हैं। यहां लोग घूमने-फिरने नहीं आते बल्कि वो भूतों का इलाज करवाने आते हैं और यहां आसानी से महिलाओं को झूमते देखा जा सकता है। उन्हें ना तो अपना होश रहता है ना कोई फिकर.. वो बस मदहोश होकर पुजारी के इशारे पर नाचती रहती हैं। इलाज के लिए यहां लोगो का हुजूम लगता है। लोगों के मुताबिक जो भी बाबा के दरबार में आता है वो कभी खाली हाथ लौट के नहीं जाता है।

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सुप्रीम कोर्ट के नाम से भी जाना जाता है बाबा का धाम
हरसू ब्रह्म धाम को पूरे देश में सुप्रीम कोर्ट के नाम से जाना जाता है। इस धाम में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है। पिछले 650 सालों से यहां भूतों का मेला लग रहा है। प्रेत आत्माओं की बुरी नजर से लोगों को यहां बचाया जाता है। बिहार के अलावा झारखंड, यूपी, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,राजस्थान और देश के है कोने कोने से लोग हरसू ब्रह्म धाम पहुंचते हैं। बाबा हरसू ब्रह्म धाम में पहुंचते ही लोग अपने बच्चों के बाल का मुंडन करवा कर मन्नत उतारते है। मान्यता है कि यहां प्रेतबाधा से पीड़ित लोगों का धाम में पहुंचने से बाबा की कृपा से प्रेतों से मुक्ति पा जाता है। यह मान्यता वर्षों से चली आ रही है। मंदिर परिसर में मां दुर्गा के नौ रूपों को भी स्थापित किया गया है। जिन बच्चों का मन्नत होता है उसका मुंडन संस्कार धाम परिसर में होता है।

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108 ब्रह्म स्थानों में पहला हरसू ब्रह्म
पूरे भारत में 108 ब्रह्म स्थानों में से पहला हरसू है। हरसू ब्रह्म ट्रस्ट के सचिव कैलाश पति त्रिपाठी बताते हैं कि 1428 ईवी के दौरान यहां राजा शालिवाहन की हुकूमत थी। हरसू पांडे राजा शालिवाहन के मंत्री और राजपुरोहित थे। राजा शालिवाहन को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही थी लिहाजा वे चिंतित रहते थे। उनके राजपुरोहित हरशु पांडे ने उन्हें दूसरी शादी का प्रस्ताव दिया। राजा की पहली पत्नी राजस्थान की थी वहीं जब राजा की दूसरी पत्नी छत्तीसगढ़ की थी शालिवाहन के दूसरी शादी करते ही उन्हे पुत्र की प्राप्ति हुई।

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