Edited By Swati Sharma, Updated: 15 Jul, 2025 04:36 PM
Asthawan Assembly Seat: अस्थावां विधानसभा सीट नालंदा लोकसभा के तहत आता है...1951 में ही अस्थावां विधानसभा सीट अस्तित्व में आया था। 1951में अस्थावां सीट से कांग्रेसी कैंडिडेट मोहम्मद ताजुद्दीन ने जीत हासिल की थी। वहीं 1957 में अस्थावाँ में जनता...
Asthawan Assembly Seat: अस्थावां विधानसभा सीट नालंदा लोकसभा के तहत आता है...1951 में ही अस्थावां विधानसभा सीट अस्तित्व में आया था। 1951में अस्थावां सीट से कांग्रेसी कैंडिडेट मोहम्मद ताजुद्दीन ने जीत हासिल की थी। वहीं 1957 में अस्थावाँ में जनता पार्टी ने कांग्रेस को हराने में कामयाबी हासिल की थी। जनता पार्टी के कैंडिडेट नंदकिशोर प्रसाद सिंह ने इस सीट पर कब्जा कर लिया था। वहीं 1962में अस्थावाँ सीट पर कौशलेंद्र प्रसाद नारायण सिंह ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के कैंडिडेट के तौर पर जीत हासिल किया था। 1967 में कांग्रेस ने एक बार फिर यहां सभी विरोधियों को मात दे दिया था। कांग्रेसी कैंडिडेट बी पी जवाहर ने यहां से जनता का भरोसा हासिल कर लिया था।
वहीं 1969 में अस्थावां से जनता पार्टी के कैंडिडेट नंदकिशोर प्रसाद सिंह ने एक बार फिर सभी विरोधियों को मात दे दी थी। 1972 में कांग्रेसी कैंडिडेट अयोध्या प्रसाद ने अस्थावाँ सीट पर जनता का समर्थन हासिल किया था....1977 के चुनाव में निर्दलीय कैंडिडेट इंद्रदेव चौधरी ने अस्थावाँ से जीत का का परचम लहराया था। 1980 के चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट अयोध्या प्रसाद ने फिर से अस्थावाँ सीट पर जीत हासिल कर लिया था, लेकिन 1985 और 1990 के चुनाव में रघुनाथ प्रसाद शर्मा ने बतौर निर्दलीय कैंडिडेट लगातार दो बार अस्थावाँ में विरोधियों की हवा निकाल कर रख दिया था। 1995 के चुनाव में भी अस्थावां सीट पर निर्दलीय कैंडिडेट सतीश कुमार ने किसी भी पार्टी के कैंडिडेट को टिकने का मौका ही नहीं दिया था। वहीं 2000 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर निर्दलीय कैंडिडेट रघुनाथ प्रसाद शर्मा ने विरोधियों को करारी शिकस्त दे दिया था। 2005, 2010, 2015 और 2020 के चुनाव में जेडीयू कैंडिडेट जितेंद्र कुमार ने अस्थावाँ की जनता का भरोसा हासिल कर लिया था।
Asthawan Assembly Seat Result 2020।। एक नजर 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर
वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में अस्थावां में जेडीयू कैंडिडेट जितेंद्र कुमार ने जीत हासिल किया था, जितेंद्र कुमार को 51 हजार पांच सौ 25 वोट मिला था तो आरजेडी कैंडिडेट अनिल कुमार को 39 हजार नौ सौ 25 वोट ही मिल पाया था। इस तरह से जितेंद्र कुमार ने अनिल कुमार को 11 हजार छह सौ वोट के बड़े अंतर से हरा दिया था। वहीं एलजेपी उम्मीदवार रमेश कुमार 21 हजार आठ सौ 44 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

Asthawan Assembly Seat Result 2015।। एक नजर 2015 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर
वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में अस्थावां सीट से जेडीयू की टिकट पर जितेंद्र कुमार ने जीत हासिल की थी....जितेंद्र कुमार को 58 हजार नौ सौ नो वोट मिला था तो एलजेपी कैंडिडेट छोटेलाल यादव को 48 हजार चार सौ 64 वोट ही मिल पाया था। इस तरह से जितेंद्र कुमार ने छोटेलाल यादव को 10 हजार चार सौ 45 वोट के अंतर से हरा दिया था। वहीं 5 हजार तीन सौ 90 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था।

Asthawan Assembly Seat Result 2010।। एक नजर 2010 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर
वहीं 2010 के विधानसभा चुनाव में अस्थावां सीट से जेडीयू की टिकट पर जितेंद्र कुमार ने जीत हासिल की थी, जितेंद्र कुमार को 54 हजार एक सौ 76 वोट मिला था तो एलजेपी कैंडिडेट कपिलदेव प्रसाद सिंह ने 34 हजार छह सौ छह वोट हासिल किया था। इस तरह से जितेंद्र कुमार ने कपिलदेव प्रसाद सिंह को 19 हजार पांच सौ 70 वोट के अंतर से हरा दिया था। वहीं निर्दलीय कैंडिडेट जुगेश्वर मांझी, 4 हजार दो सौ 86 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

Asthawan Assembly Seat Result 2005।। एक नजर 2005 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर
वहीं, 2005 के विधानसभा चुनाव में अस्थावां सीट से जेडीयू की टिकट पर जितेंद्र कुमार ने जीत हासिल की थी....जितेंद्र कुमार को 40 हजार चार सौ 74 वोट मिला था तो निर्दलीय कैंडिडेट कुमार पुष्पंजय को 24 हजार नौ सौ 88 वोट ही मिल पाया था। इस तरह से जितेंद्र कुमार ने कुमार पुषपंजय को 15 हजार चार सौ 86 वोट से हरा दिया था। वहीं निर्दलीय कैंडिडेट रामानुग्रह सिंह, 3 हजार सात सौ 20 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे।

अस्थावां विधानसभा सीट के नतीजों को तय करने में भूमिहार,यादव,कुर्मी,पासवान और मुस्लिम वोटरों की अहम भूमिका है...2020 के विधानसभा चुनाव में अस्थावां में जेडीयू कैंडिडेट जितेंद्र कुमार ने जीत हासिल किया था, लेकिन इसके बावजूद एलजेपी उम्मीदवार रमेश कुमार को 21 हजार आठ सौ 44 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। यानी एलजेपी ने पिछली बार बहुत ज्यादा वोट काट लिया था। इस बार लोजपा का गठबंधन चिराग पासवान के साथ है। अगर चिराग पासवान अपने हिस्से का वोट जेडीयू को ट्रांसफर करवाने में सफल रहेंगे तो आरजेडी को यहां मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।