शिवहर में फंस गई लवली आनंद तो वैशाली में वीणा सिंह पर संकट, गोपालगंज और पूर्वी चंपारण सीट पर NDA और INDIA में है कड़ी टक्कर

Edited By Nitika, Updated: 23 May, 2024 02:52 PM

lovely anand stuck in sheohar and veena singh in trouble in vaishali

बिहार में 25 मई को पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली और गोपालगंज सीट पर लोकसभा चुनाव होना है। इन सीटों के चुनावी नतीजे तय करने में जाति समीकरण की अहम भूमिका होती है। आइए इन सीटों पर जातीय समीकरण की अलग-अलग चर्चा करते हैं।

 

पटनाः बिहार में 25 मई को पूर्वी चंपारण,शिवहर, वैशाली और गोपालगंज सीट पर लोकसभा चुनाव होना है। इन सीटों के चुनावी नतीजे तय करने में जाति समीकरण की अहम भूमिका होती है। आइए इन सीटों पर जातीय समीकरण की अलग-अलग चर्चा करते हैं।

पूर्वी चंपारण में बीजेपी ने इस बार भी राधामोहन सिंह पर ही भरोसा जताया है। यहां से महागठबंधन से वीआईपी के उम्मीदवार राजेश कुशवाहा चुनावी अखाड़े में किस्मत आजमा रहे हैं। 1952 से लेकर 2019 तक पूर्वी चंपारण में 17 बार लोकसभा चुनाव हुआ है। इसमें 15 बार सवर्ण जाति के नेता पूर्वी चंपारण से सांसद बने हैं। इसमें राजपूत जाति के नेता सात बार और ब्राह्मण उम्मीदवार पांच बार चुनाव जीतने में सफल रहे। वहीं, भूमिहार जाति के तीन उम्मीदवार पूर्वी चंपारण से सांसद बनने में सफल रहे। पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट पर भूमिहार, राजपूत, यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और वैश्य वोट चुनावी जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस सीट पर करीब ढाई लाख वोट भूमिहारों का है। राजपूतों का वोट लगभग एक लाख पैंसठ हजार है जबकि चार लाख के करीब वैश्य मतदाता भी हैं। वहीं कुशवाहा का वोट करीब सवा दो लाख है तो यादव और मुस्लिम मतदाता भी यहां बड़ी तादाद में हैं, चूंकि महागठबंधन ने यहां से राजेश कुशवाहा को उतारा है इसलिए कुशवाहा जाति को पूरा वोट उन्हें मिल सकता है।

25 मई को शिवहर सीट पर लोकसभा का चुनाव होना है। इस बार यहां से जेडीयू की टिकट पर लवली आनंद चुनाव लड़ रही हैं। इस बार उनके विरोध में आरजेडी अपना कैंडिडेट देगी। आरजेडी आनंद मोहन के परिवार से हिसाब किताब बराबर करने की कोशिश करेगी। आरजेडी ने यहां से रितु जायसवाल को चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से बीजेपी ने रमा देवी का टिकट काट दिया है। इसलिए वैश्य वोटर इस बार बीजेपी सहित एनडीए से पूरी तरह से नाराज हैं। वैश्य वोटर इस बार आरजेडी कैंडिडेट रितु जायसवाल के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। चूंकि लवली आनंद के पति आनंद मोहन पर दलित आईएएस अधिकारी की हत्या का आरोप है। इसलिए दलित महादलित समाज का वोट लवली आनंद को नहीं मिलेगा। वहीं सबसे अधिक चर्चा में पूर्व सांसद सीताराम सिंह के छोटे बेटे राणा रणजीत हैं। राणा रणजीत असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के टिकट पर मैदान में हैं। उनके निशाने पर हैं लवली आनंद। राणा रणजीत का कहना है कि लवली के पति आनंद मोहन ने ही उनके पिता सीताराम सिंह को हराया था। वह पिता की हार का बदला लेने के लिए मैदान में हैं। इसलिए लवली आनंद के लिए शिवहर से जीतना मुश्किल हैं।

वहीं वैशाली लोकसभा सीट पर 25 मई को चुनाव होना है। इस लोकसभा सीट पर चिराग पासवान की पार्टी ने वीणा सिंह पर फिर से भरोसा जताया है। वहीं महागठबंधन की तरफ से आरजेडी ने मुन्ना शुक्ला को अपना कैंडिडेट बनाया है। वैशाली में पिछले दो चुनाव से राजपूत उम्मीदवार ही आमने-सामने रहे हैं लेकिन इस बार मुन्ना शुक्ला के आने से भूमिहार वोटर उत्साहित दिख रहे हैं और भूमिहार वोटर वैशाली पर कब्जा करने का बड़ा मौका देख कर मुन्ना शुक्ला के पक्ष में खड़े हो गए हैं। अगर जातीय समीकरण की बात करें तो वैशाली संसदीय क्षेत्र में राजपूत और यादव वोटरों का दबदबा है। भूमिहार और और मुस्लिम इस सीट पर गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। आरजेडी कैंडिडेट मुन्ना शुक्ला को पारंपरिक यादव-मुस्लिम वोटरों के साथ भूमिहार वोट में बड़ी हिस्सेदारी मिलने की उम्मीद है। वहीं, वीणा सिंह की पूरी निर्भरता राजपूत और पासवान वोटरों पर है। ऐसे में यहां लव-कुश, वैश्य और अति पिछड़े वोटरों की वैशाली के चुनावी नतीजों को तय करने में अहम भूमिका होगी।

वहीं गोपालगंज सीट पर 25 मई को लोकसभा चुनाव होना है। जेडीयू ने यहां से एक बार फिर आलोक कुमार सुमन को चुनावी मैदान में उतारा है। इस बार आरजेडी सुप्रीमो ने जेडीयू के आलोक सुमन को हराने की जिम्मेवारी वीआईपी के उम्मीदवार प्रेमनाथ चंचल को दी है। एनडीए के रणनीतिकारों ने बगैर फेरबदल किए गोपालगंज के सीटिंग सांसद आलोक सुमन पर फिर से भरोसा जताया है। वैसे जातीय समीकरण की बात करें तो यहां ब्राह्मण वोटरों की आबादी 17 फीसदी है। वहीं मुस्लिम वोटरों की आबादी 14 फीसदी है तो गोपालगंज लोकसभा सीट पर यादव वोटरों की आबादी 13 फीसदी है। राजपूत वोटरों की आबादी 13 फीसदी है। भूमिहार वोटरों की आबादी 5 फीसदी है तो कोइरी वोटरों की आबादी 4 फीसदी है और कुर्मी वोटरों की फीसदी 3 फीसदी है।

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