Edited By Nitika, Updated: 01 Aug, 2024 06:05 PM
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की योजना से लाखों गरीब महिलाओं की जिंदगी बदल रही है। कभी दो रोटी के लिए मोहताज रहने वाली महिलाएं अब अपने दम पर एक साल में लाखों रुपए कमा रही है।
पटना(विकास कुमार): बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की योजना से लाखों गरीब महिलाओं की जिंदगी बदल रही है। कभी दो रोटी के लिए मोहताज रहने वाली महिलाएं अब अपने दम पर एक साल में लाखों रुपए कमा रही है। इससे महिलाएं अपने परिवार का भरण पोषण तो कर ही रही हैं। इसके अलावा बच्चों को बेहतर शिक्षा भी मुहैया करवा रहीं हैं। ऐसी ही कहानी सिवान जिले के बसंतपुर गांव की रहने वाली अनीता देवी की है।
‘अनीता देवी की संघर्ष की कहानी’
सिवान जिले के बसंतपुर गांव की निवासी अनीता देवी की कहानी संघर्ष से भरी हुई है। अनीता देवी सुहानी स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं। अनीता देवी ने समूह से मिली मदद से प्रेम मिष्ठान भंडार नाम की एक मिठाई की दुकान की शुरुआत की। खाना पकाने का शौक होने और पहले से मिठाइयां बनाने का अनुभव होने के कारण अनीता देवी ने मिठाई की दुकान खोली। अपने इस प्रयास से अनीता देवी ने परिवार की आय बढ़ाने में भी योगदान दिया।
‘स्वयं सहायता समूह से बदली अनीता देवी की जिंदगी’
दो साल पहले अनीता देवी के पति की हृदय गति रुकने से मौत हो गई थी। इसके बाद अनीता देवी के कंधे पर पूरे परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी आ गई। अनीता देवी के तीन बेटे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति और बच्चों की शिक्षा के बोझ ने अनीता देवी को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। बेटे के साथ मिलकर अनीता देवी ने मिठाई की दुकान स्थापित करने में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी चुनौती तो पूंजी जमा करने की थी।
अन्य चुनौतियों में गुणवत्तापूर्ण सामग्री की अनुपलब्धता और गांव में कुछ मिठाई की दुकानों से उनकी प्रतिस्पर्धा भी थी। इन चुनौतियों से पार पाने के लिए अनीता देवी ने सुहानी स्वयं सहायता समूह से 20,000 रुपए की राशि का कर्ज हासिल किया। कर्ज लेने के बाद इसमें से 15,000 रुपए का भुगतान अनीता देवी समूह को वापस कर चुकी हैं। इसके बाद अनीता देवी 40,000 रुपए की राशि के पीएमएफएमई कर्ज की लाभार्थी भी हैं।
अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अनीता ने अपनी दुकान में परवल मिठाई और रबड़ी लस्सी जैसे अनूठे व्यंजनों को बनाना शुरू किया। इससे आसपास के मिठाई के दुकानों को अनीता देवी ने पीछे छोड़ दिया। हाल ही में, उन्होंने स्थानीय ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए मिठाइयों के लिए उन्होंने एक डिस्प्ले काउंटर भी खरीदा है।
वर्तमान समय में, अनीता देवी ताजी सामग्री का उपयोग करके और स्वच्छता के मानकों को बनाए रखते हुए उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बना रहीं हैं। वह प्रत्येक ग्राहक के साथ अच्छा व्यवहार करती हैं और ग्राहकों को बेहतर सेवा प्रदान कर रही हैं। अनीता देवी प्रतिदिन तीन सौ से चार सौ रुपए रोज कमा लेती हैं। इस लिहाज से वह करीब 14 हजार रुपए महीने कमा लेती हैं। इस व्यवसाय ने अनीता दीदी और उनके परिवार के लिए आय का एक अच्छा स्रोत प्रदान किया। इसके अलावा, अनीता देवी की सफलता ने अन्य ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं को अपनी उद्यमशीलता की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए, अनीता का लक्ष्य लंच आइटम जैसे रोटी सब्जी, दाल रोटी, दाल चावल और बेकरी आइटम जैसे केक, पेस्ट्री आदि को जोड़कर और भी नए उत्पाद पेश करना है। खासकर ग्रामीण समुदायों में अनीता देवी की यात्रा उद्यमिता की परिवर्तनकारी क्षमता का उदाहरण है। दृढ़ संकल्प, लगन और सामुदायिक समर्थन के जरिए अनीता एक मिठाई की दुकान के मालिक होने के अपने सपने को सार्थक करने में सफल हुई। अपने परिवार के साथ अनीता देवी ने गांव के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी अहम योगदान दिया। उनकी कहानी आकांक्षी ग्रामीण महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गई है। दूसरी महिलाएं भी अनीता देवी की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से अपनी आर्थिक स्थिति को बदल सकती हैं।
साफ है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्वयं सहायता समूह की योजना से लाभ लेकर अनीता देवी उज्जवल भविष्य का ताना बाना बुन रही हैं। इसलिए अनिता देवी बिहार के गांव में रहने वाली लाखों गरीब महिलाओं के लिए प्रेरणा का उदाहरण बन गईं हैं।