तमिलनाडु की सहकारी समितियों के तर्ज पर बिहार में भी स्थानीय उत्पादों के विपणन एवं प्रसंस्करण की बनेगी व्यवस्था

Edited By Khushi, Updated: 03 Jan, 2025 06:43 PM

on the lines of tamil nadu s cooperative societies arrangements

मंत्री डॉ॰ प्रेम कुमार, सहकारिता विभाग, बिहार सरकार तमिलनाडु राज्य के भ्रमण पर हैं। 02 जनवरी, 2025 को मंत्री ने अपने सहकारिता विभाग के टीम के साथ तमिलनाडु के इरोड कृषि उत्पादक सहकारी समिति का दौरा किया।

पटना: मंत्री डॉ॰ प्रेम कुमार, सहकारिता विभाग, बिहार सरकार तमिलनाडु राज्य के भ्रमण पर हैं। 02 जनवरी, 2025 को मंत्री ने अपने सहकारिता विभाग के टीम के साथ तमिलनाडु के इरोड कृषि उत्पादक सहकारी समिति का दौरा किया। इस दौरान समिति के कार्यकलापों को अवलोकन करते हुए उन्होंने बिहार में भी इसके मॉडल को लागू करने की बात कही है। तमिलनाडु की सहकारी संस्थाओं में स्थानीय उत्पादों के विपणन एवं प्रसंस्करण की अच्छी व्यवस्था हो जिससे समितियां लाभ में है और अच्छा व्यवसाय कर रहे हैं।

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डॉ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार में नवगठित एफ.पी.ओ. तथा पैक्सों में स्थानीय उत्पादों के विपणन एवं प्रसंस्करण करने की तैयारी की जा रही है। राज्य के विभिन्न हिस्सो में विषिष्ट चीजो का उत्पादन किया जाता है। जिन्हें बढ़ावा देना आवश्यक है इसलिए तमिलनाडु की इन सहकारी समितियों के कार्य प्रणाली के अवधारना से राज्य की सहकारी समितियां को लाभान्वित किया जा सकता है। इरोड कृषि उत्पादक सहकारी विपणन समिति लि॰ का भ्रमण करते हुए उन्होंने वहां के अध्यक्ष तथा सदस्यों के साथ भेंटवार्ता की। समिति के अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि समिति का संचालन एक निर्वाचित बोर्ड और एक प्रबंध निदेशक (एमडी) द्वारा किया जाता है जो तमिलनाडु सहकारिता विभाग का एक अधिकारी होते हैं।  समिति अपने सदस्यों को 14% का वार्षिक लाभांश वितरित कर रही है। समिति लगभग 1.5 करोड़ रुपये के वार्षिक शुद्ध लाभ में है (लाभांश के वितरण के बाद)। इरोड जिला अपने हल्दी की खेती के लिए बहुत प्रसिद्ध है जिसे GI टैग भी मिला हुआ है।

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डॉ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि समिति मुख्य रूप से सदस्य किसानों को उनकी हल्दी उपज की बिक्री के लिए बाजार प्रदान करती है और किसानों को उनकी उपज का सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करने में मदद करती है। समिति ने एक ई-बिडिंग पोर्टल विकसित किया है जिसके माध्यम से संस्थागत खरीदार हल्दी की बोरियों (65 किलोग्राम प्रति बोरी) के लिए बोली लगाते हैं। यदि किसान कीमत से संतुष्ट है, तो वह बिक्री के साथ आगे बढ़ता है। निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए सभी बिडिंग एनोनिमस होता है। उसके बाद सफल बोली लगने के 24 घंटे के भीतर समिति द्वारा किसान को तत्काल भुगतान कर दिया जाता है। खरीदार को हल्दी की डिलीवरी लेने और समिति को भुगतान करने के लिए 14 दिन का समय दिया जाता है। समिति के पास लगभग 17000 मीट्रिक टन की गोदाम भंडारण सुविधा है। किसान सदस्यों से एक निश्चित अवधि के लिए हल्दी रखने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। गोदाम के अलावा, समिति के पास एक छंटाई सुविधा भी है जहां ई-बिडिंग के लिए रखे जाने से पहले हल्दी को गुणवत्ता के आधार पर छांटा जाता है। इन सभी सेवाओं, यानी ई-बिडिंग, भंडारण, छंटाई और ग्रेडिंग आदि के लिए, किसानों से कुल बिक्री पर मामूली 1.5 : शुल्क लिया जाता है।

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डॉ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि सोसायटी के पास एक प्रसंस्करण इकाई भी है जहां हल्दी और अन्य सामग्रियों को हल्दी पाउडर, सांभर मसाला, चिकन मसाला आदि में परिवर्तित किया जाता है, जिन्हें “मंगलम“ ब्रांड के तहत पैक और बेचा जाता है। इस प्रसंस्करण एवं पैकिंग यूनिट को  लागत लगभग 60 से 65 लाख रुपए है। समिति परिसर में एक उपभोक्ता आउटलेट भी है जहां मंगलम ब्रांड और अन्य सहकारी समिति के उत्पाद बेचे जाते हैं। इस आउटलेट की दैनिक बिक्री लगभग 7000 रु है। मंगलम मसाले पूरे तमिलनाडु राज्य में पीडीएस और प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी आउटलेट के माध्यम से भी वितरित किए जाते हैं। वहीं, भ्रमण के दौरान माननीय मंत्री जी के साथ ललन शर्मा, संयुक्त निबंधक, सहयोग समितियां, सफदर रहमान, सहायक निबंधक, सहयोग समितियां तथा अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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