Edited By Nitika, Updated: 04 May, 2021 05:10 PM
बिहार में दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव से निकल कर देश ही नहीं दुनिया में अपना नाम रौशन करने वाले वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा का सोमवार देर रात यहां लहेरियासराय स्थित निवास पर निधन हो गया।
दरभंगाः बिहार में दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव से निकलकर देश ही नहीं दुनिया में अपना नाम रौशन करने वाले वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा का सोमवार देर रात यहां लहेरियासराय स्थित निवास पर निधन हो गया। वहीं पूर्व राष्ट्रपति कलाम की तरह ही मानस बिहारी वर्मा ने देश सेवा के जूनून में शादी नहीं की।
हार्ट अटैक से हुआ बिहारी वर्मा का निधन
मानस बिहारी वर्मा कुछ दिनों से अस्वस्थ थे। सोमवार देर रात हार्ट अटैक होने से उनकी मौत हो गई। उनके निधन की खबर के बाद जिले में शोक की लहर है। डॉक्टर मानस बिहारी वर्मा का जन्म दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव में 29 जुलाई 1943 को हुआ। उनके पिता का नाम किशोर लाल दास था। तीन भाई और चार बहनों का उनका परिवार है। उनकी स्कूली शिक्षा मधेपुर के जवाहर हाई स्कूल से पूरी हुई थी, मैट्रिक की परीक्षा उतीर्ण करने बाद उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना और कोलकाता विश्वविद्यालय में अध्ययन किया था।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के रहे अभिन्न मित्र
डॉक्टर मानस बिहारी वर्मा ने 35 वर्षों तक अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में एक वैज्ञानिक के रूप में काम किया। उन्होंने बैंगलोर, नई दिल्ली और कोरापुट में स्थापित विभिन्न वैज्ञानिकी विभागों में भी काम किया। डॉ. मानस बिहारी वर्मा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के अभिन्न मित्र रहे। 1986 में तेजस फाइटर जेट विमान बनाने के लिए टीम बनी थी, उस समय लगभग 700 इंजीनियर इस टीम में शामिल किए गए थे। डॉक्टर वर्मा ने इस टीम में बतौर मैनेजमेंट प्रोग्राम डायरेक्टर के रूप में अपना योगदान दिया था। तेजस विमान की डिज़ाइन बनाने की पूरी जिम्मेदारी उन्होंने संभाली थी। साथ ही वे लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट डिज़ाइन टीम के भी सदस्य रह चुके थे। डॉ. वर्मा की प्रेरणा से मिसाइल मैन अब्दुल कलाम साहब ने कई बार दरभंगा जिले का दौरा किया। जब भी वे बिहार आते थे मानस बिहारी वर्मा जरूर मिलते थे।
विकसित भारत फाउंडेशन की स्थापना भी की
पूर्व राष्ट्रपति कलाम की तरह ही मानस बिहारी वर्मा ने देश सेवा के जूनून में शादी नहीं की। मानस बिहारी वर्मा (डीआरडीओ) से जुलाई, 2005 में सेवानिवृत्त होने के बाद बेंगलुरु में पांच सितारा जीवन को त्यागकर अपने गांव दरभंगा के बाऊर पहुंचे। यहाँ रहते हुए उन्होंने गांव के बच्चों को शिक्षा देना शुरू कर दिया। विशेष कर सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के बीच जाकर ये उनमें वैज्ञानिक चेतना जगाते थे। इसके लिए इन्होंने विकसित भारत फाउंडेशन की स्थापना भी की। विकास भारत फाउंडेशन के माध्यम से दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सीतामढ़ी आदि जिलों के बच्चों को विज्ञान और कंप्यूटर ज्ञान प्रदान करने में शामिल हुए।