घर से बुलाकर किशोर की हत्या, अगली सुबह झाड़ी में मिला शव, अब कोर्ट ने आरोपी को सुनाई उम्रकैद की सजा

Edited By Ramanjot, Updated: 12 Jun, 2025 11:55 AM

teenager murdered court sentences the accused to life imprisonment

अतिरिक्त लोक अभियोजक दीपक पटेल ने कहा, "इदु अली को हत्या का दोषी ठहराया गया। अदालत ने 30,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया, न चुकाने पर छह महीने की अतिरिक्त जेल की सजा भी। अदालत ने सबूतों के अभाव में एक अन्य आरोपी भानु सिंह को बरी कर दिया।" यह मामला...

Bihar Crime: बिहार के मोतिहारी की एक अदालत ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में किशोर लड़के की हत्या के मामले में एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मोतिहारी के 10वें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बृजेश कुमार ने नाबालिग लड़के समीर आलम की हत्या के मामले में इदु अली उर्फ ​​सैफ को सजा सुनाई। 

अदालत ने 30,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया 
अतिरिक्त लोक अभियोजक दीपक पटेल ने कहा, "इदु अली को हत्या का दोषी ठहराया गया। अदालत ने 30,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया, न चुकाने पर छह महीने की अतिरिक्त जेल की सजा भी। अदालत ने सबूतों के अभाव में एक अन्य आरोपी भानु सिंह को बरी कर दिया।" यह मामला मृतक की मां नूर सलीना खातून द्वारा हरसिद्धि पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई एफआईआर संख्या 45/2024 से जुड़ा है। उसने 28 जनवरी, 2024 की शाम को अपने किशोर बेटे समीर आलम का अपहरण करने और बाद में उसकी हत्या करने के लिए इदु अली उर्फ ​​सैफ, नागेंद्र मांझी और भानु सिंह को नामजद किया था। 

समीर को आरोपियों ने घर से बुलाया था
एफआईआर के अनुसार, समीर को आरोपियों ने घर से बुलाया था और वह वापस नहीं लौटा। अगली सुबह उसका शव हरसिद्धि थाने के दरियापुर गांव के पास एक झाड़ी में मिला। पुलिस ने दो दिन बाद इदु अली को गिरफ्तार किया और पूछताछ के दौरान उसने अपना अपराध कबूल कर लिया। हत्या के पीछे पुरानी रंजिश और प्रेम प्रसंग को वजह बताया गया। पुलिस ने तेजी से जांच पूरी कर एक महीने के अंदर इदु अली और भानु सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी, जबकि नागेंद्र मांझी के खिलाफ मामला अभी भी जांच के दायरे में है। 

ट्रायल (सत्र वाद संख्या 619/2024) के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक दीपक पटेल और सहायक अधिवक्ता मोहम्मद शहाबुद्दीन ने छह गवाह पेश किए और इदु अली के खिलाफ अभियोजन पक्ष का मामला सफलतापूर्वक साबित किया। घटना के 17 महीने के भीतर संपन्न हुई अपेक्षाकृत त्वरित न्यायिक प्रक्रिया में, अदालत ने इदु अली को भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं 302, 201 और 34 के तहत दोषी पाया और फैसला सुनाया। यह फैसला शोक संतप्त परिवार को आंशिक रूप से राहत देता है और जघन्य अपराधों में समय पर न्याय पर अदालत के जोर को दर्शाता है।

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