जाति सर्वेक्षण पर रोक लगने पर ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता बोलीं- ट्रांसजेंडर को अलग जाति माना जाना एक ‘‘आपराधिक कृत्य

Edited By Ramanjot, Updated: 05 May, 2023 10:59 AM

transgender rights activist spoke on ban on caste survey

राज्य सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण कराने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने वालों में शामिल रेशमा ने कहा, ‘‘बिहार सरकार द्वारा जाति की सूची में ट्रांसजेंडर को एक अलग जाति माना जाना एक ‘‘आपराधिक कृत्य'' है। हम पटना उच्च न्यायालय के...

पटनाः पटना उच्च न्यायालय की ओर से बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगाए जाने की सराहना करते हुए ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि यह उनके समुदाय की ‘‘आवाज'' सुने जाने के समान है। 

राज्य सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण कराने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने वालों में शामिल रेशमा ने कहा, ‘‘बिहार सरकार द्वारा जाति की सूची में ट्रांसजेंडर को एक अलग जाति माना जाना एक ‘‘आपराधिक कृत्य'' है। हम पटना उच्च न्यायालय के शुक्रगुजार हैं कि हमारी आवाज सुनी गई। हमारे वकील ने उच्च न्यायालय के समक्ष इस मुद्दे को बहुत प्रभावी ढंग से रखा है।'' उन्होंने कहा, “अब उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को इस कवायद को तुरंत रोकने का निर्देश दिया है। हम अपनी इस मांग पर कायम हैं कि राज्य सरकार दूसरे चरण के सर्वेक्षण के दौरान इस्तेमाल किए गए प्रारूप को वापस ले जिसमें ट्रांसजेंडर को जाति घोषित किया गया था।” उन्होंने कहा, “हम तीन जुलाई को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे। हमें आरक्षण दिया जाना चाहिए क्योंकि कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और कुछ अन्य राज्यों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को आरक्षण दिया गया है।” 

पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार की ओर से कराए जा रहे जाति सर्वेक्षण पर गुरुवार को यह कहते हुए रोक लगा दी कि राज्य के पास जाति आधारित सर्वेक्षण कराने की कोई शक्ति नहीं है। अदालत मामले की सुनवाई अब तीन जुलाई को करेगी। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार को जाति आधारित सर्वेक्षण को तुरंत रोकने और इस सर्वेक्षण अभियान के तहत अबतक एकत्र किए गए आंकड़ों को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख तीन जुलाई तय की है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ट्रांसजेंडर को जाति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा लेकिन अधिसूचना में इसे जाति की सूची में रखा गया है।

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