"स्वास्थ बीमा योजना की खामियों को दूर करे झारखंड सरकार", बोले भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजय साह

Edited By Harman, Updated: 22 Mar, 2025 08:55 AM

jharkhand government should remove the flaws of the health insurance scheme

झारखंड में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने झारखंड सरकार द्वारा लागू की गई कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह योजना भी हर योजना की तरह कई खामियों से भरी हुई है, जिससे राज्य के कर्मचारियों में गहरी...

रांची: झारखंड में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने झारखंड सरकार द्वारा लागू की गई कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह योजना भी हर योजना की तरह कई खामियों से भरी हुई है, जिससे राज्य के कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है। उन्होंने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि योजना को पूरी तरह लागू करने से पहले ही पुरानी ‘‘मेडिकल रीइंबर्समेंट योजना'' को खत्म कर दिया गया, जिससे कर्मचारी बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के रह गए हैं। यह सरकार की लापरवाही को दर्शाता है। 

"अभी तक मात्र लगभग 2,000 कर्मचारियों के हेल्थ कार्ड ही बने" 
अजय साह ने बताया कि इस योजना का लाभ उठाने के लिए कर्मचारियों का हेल्थ कार्ड बनवाना अनिवार्य है, लेकिन योजना लागू हुए 20 दिन हो चुके हैं, फिर भी मात्र लगभग 2,000 कर्मचारियों के हेल्थ कार्ड ही बनाए गए हैं, जबकि झारखंड में 1.6 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी अभी भी इससे वंचित हैं। इसके बावजूद सरकार ने उनकी पहले से मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं को समाप्त कर दिया है, जिससे हजारों कर्मचारियों को चिकित्सा सेवाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यह राज्य सरकार की अव्यवस्थित कार्यशैली को दर्शाता है। 

"सूचीबद्ध अस्पतालों में मेडिका और मेदांता जैसे प्रमुख अस्पतालों का नाम नहीं"
साह ने यह भी बताया कि इस योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में मेडिका और मेदांता जैसे प्रमुख अस्पतालों का नाम नहीं है, जबकि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आमतौर पर लोग इन्हीं अस्पतालों पर निर्भर रहते हैं। उन्होंने सरकार की कथनी और करनी में अंतर को उजागर करते हुए कहा कि जब सरकार ने यह दावा किया था कि दुनिया के किसी भी अस्पताल में इलाज संभव होगा, तो फिर राज्य के ही प्रमुख अस्पताल इस सूची में क्यों नहीं हैं? उन्होंने इस योजना के वित्तीय पहलू पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार इसे अपनी उपलब्धि बताकर वाहवाही लूट रही है, लेकिन इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों से 500 प्रीमियम वसूला जा रहा है, जबकि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना में यह प्रीमियम सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इससे कर्मचारियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाल दिया गया है।  

"झारखंड सरकार इस योजना की खामियों को तुरंत दूर करे"
साह ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जब 99 प्रतिशत कर्मचारियों के हेल्थ कार्ड ही नहीं बने हैं, तो फिर सरकार ने मार्च का प्रीमियम इंश्योरेंस कंपनी को किस आधार पर भुगतान किया? उन्होंने सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि यह पूरी योजना केवल दिखावे के लिए चलाई जा रही है, जबकि कर्मचारियों की वास्तविक जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने झारखंड सरकार से इस योजना की खामियों को तुरंत दूर करने और कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की।

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