Edited By Harman, Updated: 04 Dec, 2024 09:25 AM
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने झारखंड के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की ओर से राज्य की आदिम जनजाति ‘पहाड़िया’ की स्थिति पर दिए गए बयान को लेकर पलटवार करते हुए जमकर निशाना साधा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और वरिष्ठ नेता...
रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने झारखंड के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की ओर से राज्य की आदिम जनजाति ‘पहाड़िया’ की स्थिति पर दिए गए बयान को लेकर पलटवार करते हुए जमकर निशाना साधा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने रांची में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को पहले भाजपा शासित राज्यों में आदिम जनजातियों की स्थिति का आकलन करना चाहिए। उसके बाद राज्य सरकार को आदिम जनजातियों से जुड़े सलाह देना चाहिए।
"मरांडी आदिम जनजाति के नाम पर सिर्फ मगरमच्छ की तरह आंसू बहा रहे"
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पहाड़िया जनजाति के संबंध में राज्य सरकार को सलाह दे रहे हैं। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल मरांडी आदिम जनजाति के नाम पर सिर्फ मगरमच्छ की तरह आंसू बहा रहे हैं, अगर उन्हें वास्तव में आदिम जनजातियों की चिंता है तो बीजेपी शासित राज्यों ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में जाकर उनकी आर्थिक, सामाजिक स्थिति से अवगत होना चाहिए। भाजपा शासित उड़ीसा राज्य में 15 आदिम जनजाति, छत्तीसगढ़ में 12 आदिम जनजाति और मध्य प्रदेश में 18 आदिम जनजाति निवास करती हैं। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल मरांडी को सबसे पहले इन तीनों भाजपा शासित राज्यों में आदिम जनजातियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति का आकलन करना चाहिए।
"हमने राज्य की 28 आदिवासी सीटों में से 27 पर जीत दर्ज की"
सुप्रियो भट्टाचार्य ने आगे कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख और गुरु जी शिबू सोरेन के नेतृत्व में बनी सरकार के दौरान ही आदिम जनजातियों को नौकरियों में सीधी बहाली की व्यवस्था की गई थी जिसे आज भी कायम रखा गया है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल मरांडी को असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा से सवाल करना चाहिए कि उनके राज्य में चाय बागान में काम कर रहे झारखंड की आदिवासियों को जनजातीय समाज का दर्जा क्यों नहीं मिला है। उन्होंने बाहर के प्रदेश से आए उन तमाम नेताओं को करारा जवाब दिया, जो आदिवासी बेटे हेमंत सोरेन की सरकार को अपदस्थ करने के लिए यहां आए थे। हमने राज्य की 28 आदिवासी सीटों में से 27 पर जीत दर्ज की है. एक सीट पर हम हारे हैं, लेकिन वहां भी आदिवासी बहुल अंचल में हमें बढ़त हासिल हुई है।