Tribal Culture: झारखंड के आदिवासी समाज में कोर्ट में नहीं बल्कि पत्ता तोड़ने पर खत्म होता है पति-पत्नी का रिश्ता, पढ़ें पूरी खबर

Edited By Khushi, Updated: 05 Feb, 2025 03:17 PM

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Tribal Culture: आदिवासी समाज में पति-पत्नी के बीच तलाक कोर्ट में नहीं होता है बल्कि पंचायत में होता है और अनोखे तरीक से होता है। यहां जब पति-पत्नी अलग होना चाहते हैं, तब वे पंचायत में बताते हैं।

Tribal Culture: जब शादी में पति-पत्नी दोनों खुश न हो तो मामला तलाक तक पहुंच जाता है। आज के दौर में तलाक मामूली सी चीज रह गई है। तलाक के हजारों केस आप कोर्ट में देख सकते हैं। वैसे तो हमने देखा है कि तलाक कोर्ट में होता है, लेकिन झारखंड में आदिवासी समाज में तलाक अनोखे तरीके से होता है।

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पत्ते को तोड़ने से हो जाता है तलाक

दरअसल, आदिवासी समाज में पति-पत्नी के बीच तलाक कोर्ट में नहीं होता है बल्कि पंचायत में होता है और अनोखे तरीक से होता है। यहां जब पति-पत्नी अलग होना चाहते हैं, तब वे पंचायत में बताते हैं। फिर पंचायत बैठती है और तब शादी की रस्म खत्म होने के बाद सुरक्षित रखे गए पत्ते को तोड़ दिया जाता है। इससे पति-पत्नी के बीच तलाक हो जाता है।

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पत्ता होती है सुहाग की निशानी

यहां के आदिवासियों का कहना है कि शादी की रस्म खत्म होने के बाद एक पत्ते को सुरक्षित रखा जाता है। जैसे लोग सोना चांदी सुरक्षित रखते हैं। वैसे ही इस पत्ते को सुरक्षित रखा जाता है। उनका मानना है कि यह पत्ता सुहाग की निशानी होती है।

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पत्ते को तोड़ते ही रिश्ता भी टूट जाता है। इसे साल का पत्ता भी कहा जाता है। यह वही साल का पत्ता होता है, जिसमें पति सिंदूर लेकर बारातियों के साथ वधू के घर पहुंचता है। साल के पत्ते को आदिवासी समाज भगवान की तरह पूजते हैं।

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