Ayodhya Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा के साथ 31 वर्षों बाद अन्न ग्रहण करेंगे बिहार के झमेली बाबा, राम मंदिर के लिए लिया था संकल्प

Edited By Ramanjot, Updated: 18 Jan, 2024 12:22 PM

jhameli baba of bihar will take food after 31 years with life affirmation

झमेली बाबा भूख लगने पर सिर्फ केला, सेब, संतरा, अंगूर, मूली, गाजर आदि खाते हैं। यही कारण है कि अब लोग उन्हें फलाहारी बाबा के रूप में जानने लगे हैं। बाबरी मस्जिद के विध्वंस में शामिल झमेली बाबा ने सात दिसंबर 1992 को सरयुग नदी के तट पर स्नान के बाद...

Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर पूरे देश में उत्साह देखने को मिल रहा है।  भगवान राम के कई ऐसे भक्त हैं, जिन्होंने मंदिर निर्माण के लिए अलग अलग तरह का संकल्प भी लिया था। ऐसे ही एक भक्त बिहार के दरभंगा जिले में रहते हैं जो रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के साथ 31 वर्षों के बाद अन्न ग्रहण करेंगे। झमेली बाबा सात दिसंबर 1992 से अब तक सिर्फ फल का आहार कर रहे हैं। भोजन में ना तो अन्न लेते हैं और ना ही नमक व मिठाई। 

1992 में लिया था अन्न त्यागने का संकल्प
झमेली बाबा भूख लगने पर सिर्फ केला, सेब, संतरा, अंगूर, मूली, गाजर आदि खाते हैं। यही कारण है कि अब लोग उन्हें फलाहारी बाबा के रूप में जानने लगे हैं। बाबरी मस्जिद के विध्वंस में शामिल झमेली बाबा ने सात दिसंबर 1992 को सरयुग नदी के तट पर स्नान के बाद अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के मनोकामना पूर्ण होने के लिए अन्न त्यागने का संकल्प लिया था। उनका यह मनोकामना 31 वर्षों के बाद 22 जनवरी को पूरा होने वाला है। इसे देख झमेली बाबा के अंदर खुशियों का ठिकाना नहीं है। बाबा ने बताया कि रामलला मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के साथ अपने कुटिया में सेंधा नमक खाकर अपने व्रत को तोड़ेंगे। इसके अगले दिन सुल्तानगंज से जल लेकर देवघर (बाबाधाम) के लिए प्रस्थान करेंगे। जहां माघी पूर्णिमा के अवसर पर 25 जनवरी को जलाभिषेक कर अन्न ग्रहण करेंगे। 

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छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के गुंबद पर पहले चढ़ने का दावा करने वाले बहादुरपुर प्रखड के खैरा निवासी वीरेंद्र कुमार बैठा उर्फ झमेली बाबा विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर कार सवेक के रूप में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया, ‘‘दरभंगा से ढाई सौ की संख्या में अयोध्या गए थे। जहां काफी मशक्कत के बाद पहुंचे। इस बीच मेरे साथ विश्व हिंदू परिषद के बिहार प्रांत के अध्यक्ष महादेव प्रसाद जायसवाल, बेलबागंज के अशोक साह, गजेंद्र चौधरी, गुदरी बाजार के शंभू साह परिसर में प्रवेश कर गए। इस बीच परिसर के किनारे में एक लोहे का पाइप मिला, जिसके सहारे विध्वंस में जुट गए। देखते ही देखते गुंबद पर चढ़ गए। सौकड़ों की संख्या शिव सैनिक भी जुटे थे। देखते ही देखते मिशन को पूरा कर लिया गया।'' 

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काफी गरीब परिवार से संबंध रखते हैं झमेली बाबा
बाबा ने बताया कि वहां से किसी तरह सरयुग नदी पहुंचे। जहां स्नान के बाद अयोध्या में भव्य रामलला का मंदिर निर्माण हो इसके मनोकामना के लिए अन्न त्यागने का संकल्प लिया। झमेली बाबा काफी गरीब परिवार से संबंध रखते हैं। दो भाई में बड़े दिव्यांग हैं। जिन्हें पूरी पैतृक संपत्ति सौंप दी है। स्वयं अविवाहित हैंं और लहरेयासराय थानाक्षेत्र में पान की दुकान चलाकर रामभक्ति में लीन रहते हैं। उनका मनोकामना पूर्ण हो इसे लेकर झमेली बाबा प्रति पूर्णिमा और सावन माह के हर सोमवार को सुल्तानगंज से देवघर जाकर बतौर डाकबम जलाभिषेक करते हैं। झमेली बाबा ने बताया कि अब अयोध्या की मनोकामना तो पूर्ण हो गई है, लेकिन काशी-मथूरा शेष है। यदि विहिप का आदेश होगा तो आंदोलन में निश्चित रूप से शामिल होंगे। दरभंगा प्रमंडल के आयुक्त के निजी सचिव से अवकाश प्राप्त अजीत कुमार पोद्दार भी बाबा के साथ प्रत्येक पूर्णिमा को एवं सावन में प्रत्येक सोमवार को बतौर डाकबम जलाभिषेक के लिए देवघर जाते हैं। 

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