Bihar SIR: बिहार मतदाता सूची को लेकर 1 सितंबर के बाद भी स्वीकार होंगी आपत्तियां, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

Edited By Ramanjot, Updated: 01 Sep, 2025 04:30 PM

objections regarding bihar voter list will be accepted even after september 1

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अनुमति देते हुए चुनाव आयोग की इस दलील पर गौर किया कि नामांकन (इस साल निर्धारित विधानसभा चुनाव) की अंतिम तिथि से पहले दायर किए गए सभी दावों या आपत्तियों पर विचार किया जाएगा। शीर्ष अदालत...

Bihar SIR: उच्चतम न्यायालय ने बिहार में मसौदा मतदाता सूची तैयार करने के लिए पूर्व निर्धारित समय सीमा (1 सितंबर) के बाद भी राज्य के निवासियों के दावे या आपत्तियां स्वीकार करने की चुनाव आयोग को सोमवार अनुमति दे दी। इस साल जून में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत बिहार में मसौदा मतदाता सूची तैयार करने का शुरू किया गया। 

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अनुमति देते हुए चुनाव आयोग की इस दलील पर गौर किया कि नामांकन (इस साल निर्धारित विधानसभा चुनाव) की अंतिम तिथि से पहले दायर किए गए सभी दावों या आपत्तियों पर विचार किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय जनता दल और एआईएमआईएम द्वारा दावे और आपत्तियां दायर करने की समय सीमा दो सप्ताह बढ़ाने के लिए दायर आवेदनों पर विचार करते हुए यह अनुमति दी। शीर्ष अदालत के समक्ष चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी कहा कि दावे या आपत्तियाँ एक सितंबर की समय सीमा के बाद भी प्रस्तुत की जा सकती हैं। मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद उन पर विचार किया जाएगा। 

नामांकन की अंतिम तिथि तक जारी रहेगी प्रक्रिया
अधिवक्ता द्विवेदी ने आश्वासन दिया कि यह प्रक्रिया नामांकन की अंतिम तिथि तक जारी रहेगी और सभी शामिल या हटाएं गए नामों को जांच प्रताल के बाद अंतिम सूची में शामिल किया जाएगा। न्यायालय ने आपत्तियाँ दर्ज कराने में संबंधित व्यक्तियों की सहायता के लिए अर्ध-विधिक स्वयंसेवकों की तैनाती का भी निर्देश दिया। साथ ही, राजनीतिक दलों से भी इस प्रक्रिया में सक्रिय होने को कहा। पीठ के समक्ष द्विवेदी ने कहा कि 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 फीसदी ने अपने फॉर्म दाखिल कर दिए हैं। मसौदे से बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं में से, केवल 33,326 लोगों और 25 दलों के माध्यम से दावे प्रस्तुत किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हटाए गए नामों के लिए 1,34,738 आपत्तियाँ दायर की गई हैं।  

शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को दिया था ये आदेश
अधिवक्ता ने कहा कि यह अजीब है कि राजनीतिक दल मसौदा सूची से मतदाताओं को हटाने की मांग करते हुए आपत्तियाँ दायर कर रहे हैं, न कि शामिल करने के लिए कोई दावा। शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को आदेश दिया था कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान जिन लोगों को मतदाता सूची के प्रारूप से बाहर रखा गया है, वे ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। उन्हें व्यक्तिगत रूप से आवेदन जमा करने की आवश्यकता नहीं है। राजद सांसद मनोज झा, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), पीयूसीएल, स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव, तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा और बिहार के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने समेत अन्य ने याचिकाएं दायर की थीं। 

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