Edited By Ramanjot, Updated: 23 May, 2025 05:46 PM
Sonbarsa Assembly Seat: वहीं 1980 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस पार्टी के कैंडिडेट मोहम्मद अनवारूल हक ने विरोधियों को शिकस्त दे दिया था। 1985 में सोनबरसा सीट (Sonbarsa Assembly Seat) पर हुए चुनाव में लोकदल के टिकट पर कपूरी ठाकुर ने जनता का...
Sonbarsa Assembly Seat: बिहार का सोनबरसा विधानसभा सीट मधेपुरा लोकसभा के तहत आता है। 1957 में सोनबरसा सीट पर हुए पहले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय कैंडिडेट सिंघेश्वर राय ने जीत हासिल की थी। 1962 के चुनाव में भी सोनबरसा सीट (Sonbarsa Assembly Seat) से निर्दलीय कैंडिडेट सीताराम महतो ने ही जीत हासिल की थी। वहीं 1967 में निर्दलीय कैंडिडेट आर एन राय ने सोनबरसा सीट से जनता का समर्थन हासिल किया था। 1969 के चुनाव में सोनबरसा सीट से कांग्रेसी कैंडिडेट राज नंदन राय ने विरोधियों को शिकस्त दे दिया था। 1972 में सोनबरसा सीट पर हुए चुनाव में एसओपी पार्टी के कैंडिडेट सीताराम महतो ने जीत हासिल की थी। 1977 में यहां से कांग्रेस पार्टी की टिकट पर मोहम्मद आलम ने जनता का समर्थन हासिल कर लिया था।

वहीं 1980 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस पार्टी के कैंडिडेट मोहम्मद अनवारूल हक ने विरोधियों को शिकस्त दे दिया था। 1985 में सोनबरसा सीट (Sonbarsa Assembly Seat) पर हुए चुनाव में लोकदल के टिकट पर कपूरी ठाकुर ने जनता का समर्थन हासिल कर लिया था। 1990 और 1995 के चुनाव में सोनबरसा सीट से जनता दल के कैंडिडेट रामजीवन प्रसाद ने जनता का समर्थन हासिल किया था। 2000 और 2005 के चुनाव में सोनबरसा सीट से रामचंद्र पूर्वे ने आरजेडी की टिकट पर जीत हासिल की थी। वहीं 2010,2025 और 2020 के चुनाव में जेडीयू कैंडिडेट रत्नेश सदा ने लगातार तीन बार सोनबरसा सीट से जीत का परचम लहराया था। इस बार भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर रत्नेश सदा आरजेडी को सीधी चुनौती देंगे।
एक नजर 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर
वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में सोनबरसा सीट (Sonbarsa Assembly Seat) पर जेडीयू उम्मीदवार रत्नेश सदा ने जीत का परचम लहराया था। रत्नेश सदा 67 हजार छह सौ 78 वोट लाकर पहले स्थान पर रहे थे तो कांग्रेस कैंडिडेट तरिणी ऋषिदेव 54 हजार दो सौ 12 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। इस तरह से रत्नेश सदा ने तरिणी ऋषिदेव को 13 हजार चार सौ 66 वोट के मार्जिन से हरा दिया था। वहीं एलजेपी उम्मीदवार सरिता देवी 13 हजार पांच सौ 66 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहीं थीं।
एक नजर 2015 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर
वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में सोनबरसा सीट (Sonbarsa Assembly Seat) से जेडीयू कैंडिडेट रत्नेश सदा ने जीत हासिल की थी। रत्नेश सदा ने चुनाव में 88 हजार सात सौ 89 वोट हासिल किया था तो एलजेपी की कैंडिडेट सरिता देवी को 35 हजार 26 वोट ही मिल पाया था। इस तरह से रत्नेश सदा ने सरिता देवी को 53 हजार सात सौ 63 वोट के बड़े अंतर से हरा दिया था। वहीं 6 हजार चार सौ 49 वोटों के साथ नोटा तीसरे स्थान पर रहा था।

एक नजर 2010 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर
वहीं 2010 के विधानसभा चुनाव में सोनबरसा सीट (Sonbarsa Assembly Seat) से जेडीयू कैंडिडेट रत्नेश सदा ने जीत हासिल की थी। रत्नेश सदा ने चुनाव में 56 हजार छह सौ 33 वोट हासिल किया था तो एलजेपी की कैंडिडेट सरिता देवी ने 25 हजार एक सौ 88 वोट हासिल किया था। इस तरह से रत्नेश सदा ने सरिता देवी को 31 हजार चार सौ 45 वोट के बड़े अंतर से हरा दिया था। वहीं कांग्रेस कैंडिडेट तारिणी ऋषिदेव ने 10 हजार चार सौ 33 वोट लेकर तीसरा स्थान हासिल किया था।

एक नजर 2005 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर
वहीं 2005 के विधानसभा चुनाव में सोनबरसा सीट (Sonbarsa Assembly Seat) से आरजेडी की टिकट पर रामचंद्र पूर्वे ने जीत हासिल की थी। रामचंद्र पूर्वे 35 हजार आठ सौ 43 वोट लाकर पहले स्थान पर रहे थे तो बीएसपी कैंडिडेट अमजद हुसैन अनवर को 23 हजार पांच सौ 37 वोट मिला था। इस तरह से रामचंद्र पूर्वे ने अमजद हुसैन अनवर को 12 हजार तीन सौ छह वोट के अंतर से हरा दिया था। वहीं बीजेपी कैंडिडेट रामनरेश प्रसाद यादव ने 13 हजार नौ सौ 52 वोट लेकर तीसरा स्थान हासिल किया था।

सोनबरसा विधानसभा सीट (Sonbarsa Assembly Seat) पर मुस्लिम और यादव मतदाता सबसे अहम भूमिका में हैं। हालांकि राजपूत, ब्राह्मण, कोइरी, रविदास और पासवान वोटर भी यहां निर्णायक संख्या में हैं। पिछली बार एलजेपी उम्मीदवार ने सोनबरसा सीट पर 13 हजार से ज्यादा वोट हासिल कर लिया था। इसके बावजूद जेडीयू उम्मीदवार रत्नेश सदा ने 13 हजार से ज्यादा वोट से जीत हासिल कर लिया था। अब जबकि लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान एनडीए का हिस्सा हैं इसलिए सोनबरसा सीट पर जेडीयू उम्मीदवार रत्नेश सदा की स्थिति पहले से भी मजबूत लग रही है।