Republic Day 2025: कर्तव्य पथ पर बिहार की झांकी ने मोह लिया सबका मन, समृद्ध विरासत की दिखी अनोखी झलक

Edited By Swati Sharma, Updated: 26 Jan, 2025 04:43 PM

the glimpse of bihar on the path of duty captivated everyone

गणतंत्र दिवस परेड में यहां रविवार को बिहार की झांकी में बोधि वृक्ष और ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व के जरिए राज्य की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित किया गया। राज्य की झांकी ने आठ साल के अंतराल के बाद कर्तव्य पथ पर, 76वें...

नई दिल्ली/पटना: गणतंत्र दिवस परेड में यहां रविवार को बिहार की झांकी में बोधि वृक्ष और ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व के जरिए राज्य की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित किया गया। राज्य की झांकी ने आठ साल के अंतराल के बाद कर्तव्य पथ पर, 76वें गणतंत्र दिवस परेड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

कर्तव्य पथ पर बिहार की झांकी रही आकर्षण का केंद्र
‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' के प्रमुख विषय के साथ, रंग-बिरंगी झांकी प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के साथ सबसे अलग दिखी। झांकी में, उसके खंडहरों के चारों ओर बौद्ध भिक्षुओं को बैठे हुए दिखाया गया है। झांकी के अगले हिस्से में भगवान बुद्ध की ध्यानमग्न ‘धर्मचक्र मुद्रा' में बैठी प्रतिमा थी, जो शांति और सद्भाव का प्रतीक है। मूल प्रतिमा राज्य के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल राजगीर के घोड़ा कटोरा जलाशय में स्थित है। वहीं, कर्तव्य पथ पर परेड के दौरान प्रदर्शित की गई बिहार की झांकी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा पूर्व में साझा किये गए झांकी के विवरण के अनुसार, ‘‘बिहार की झांकी ज्ञान और शांति की समृद्ध परंपरा को दर्शाती है। प्राचीन काल से ही बिहार ज्ञान, मोक्ष और शांति की भूमि रही है।'' झांकी में बोधगया के बोधि वृक्ष को भी प्रदर्शित किया गया। इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। झांकी में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर को भी प्रदर्शित किया गया। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 427 ईस्वी में गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त ने की थी।

विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय, (प्राचीन) नालंदा विश्वविद्यालय 800 से अधिक वर्षों तक ज्ञान का केंद्र रहा, जिसने उक्त अवधि के दौरान चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत और अन्य जगहों से विद्वानों को आकर्षित किया। झांकी के ‘साइड पैनल' पर भित्तिचित्रों में मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त के मार्गदर्शक चाणक्य के योगदान और वैदिक सभाओं के दृश्य, लोकतांत्रिक शासन एवं न्यायिक प्रणालियों को दर्शाया गया है। साझा किये गए विवरण के अनुसार, एक अन्य भित्तिचित्र में ‘गुरु-शिष्य' परंपरा और गणित में आर्यभट्ट के योगदान को दर्शाया गया है। एक एलईडी स्क्रीन पर, नवनिर्मित नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के परिसर को प्रदर्शित किया गया, जिसमें इसके परिसर के ‘कार्बन-न्यूट्रल' और ‘नेट-जीरो' डिजाइन शामिल हैं। 

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