Phulparas Assembly Seat: फुलपरास विधानसभा सीट पर क्या फिर चलेगा शीला मंडल का जादू?।। Bihar Election 2025

Edited By Swati Sharma, Updated: 04 Jul, 2025 06:40 PM

Phulparas Assembly Seat: फुलपरास विधानसभा सीट झंझारपुर लोकसभा के तहत आता है....1951 में ही फुलपरास सीट अस्तित्व में आ गया था। 1951 में इस सीट पर हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी कैंडिडेट काशीनाथ मिश्रा ने जीत हासिल की थी। वहीं 1957 और 1962 में...

Phulparas Assembly Seat: फुलपरास विधानसभा सीट झंझारपुर लोकसभा के तहत आता है....1951 में ही फुलपरास सीट अस्तित्व में आ गया था। 1951 में इस सीट पर हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी कैंडिडेट काशीनाथ मिश्रा ने जीत हासिल की थी। वहीं 1957 और 1962 में फुलपरास सीट पर हुए चुनाव में रसिक लाल यादव ने लगातार दो बार जीत हासिल की थी। 1967 और 1969 के चुनाव में भी फुलपरास सीट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कैंडिडेट धनिकलाल मंडल ने लगातार दो बार जीत हासिल की थी। 1972 में फुलपरास से एसओपी की टिकट पर उत्तम लाल यादव ने जनता का समर्थन जीत लिया था। 1977 में यहां से जनता पार्टी की टिकट पर देवेंद्र प्रसाद यादव ने विरोधियों को मात दे दिया था।

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1980 में फुलपरास सीट से जनता पार्टी की टिकट पर सुरेंद्र यादव ने जनता का भरोसा जीत लिया था। 1985 में फुलपरास सीट से कांग्रेस के कैंडिडेट के तौर पर हेमलता यादव ने जीत हासिल की थी। वहीं जनता दल के कैंडिडेट ने 1990 के चुनाव में यहां से रामकुमार यादव ने जीत हासिल किया था। 1995 के चुनाव में फुलपरास सीट से कांग्रेस के कैंडिडेट के तौर पर देवनाथ यादव ने जनता का भरोसा हासिल किया था। 2000 के चुनाव में फुलपरास सीट से जेडीयू की टिकट पर रामकुमार यादव ने जीत हासिल किया था। वहीं 2005 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट देवनाथ यादव ने विरोधियों को मात दे दिया था। 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में गुलजार देवी यादव ने जेडीयू की टिकट पर लगातार दो बार जीत हासिल की थी। वहीं 2020 के चुनाव में जेडीयू की टिकट पर शीला कुमारी मंडल ने फुलपरास में जीत हासिल की थी। शीला कुमारी मंडल वर्तमान में बिहार की परिवहन मंत्री भी हैं। ऐसे में शीला कुमारी मंडल का जेडीयू से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।

Phulparas Seat Result 2020।। एक नजर 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर


2020 के विधानसभा चुनाव में फुलपरास सीट पर जेडीयू कैंडिडेट शीला कुमारी मंडल ने जीत हासिल की थी। शीला कुमारी मंडल ने 75 हजार एक सौ 16 वोट लाकर पहले स्थान पर रहीं थीं। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार कृपानाथ पाठक 64 हजार एक सौ पचास वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे तो एलजेपी कैंडिडेट बिनोद कुमार सिंह 10 हजार 88 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। 

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Phulparas Seat Result 2015।। एक नजर 2015 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर

वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में फुलपरास सीट से जेडीयू की टिकट पर गुलजार देवी ने जीत हासिल की थी। गुलजार देवी ने चुनाव में 64 हजार तीन सौ 68 वोट हासिल किया था। वहीं बीजेपी कैंडिडेट रामसुंदर यादव को 50 हजार नौ सौ 53 वोट ही मिल पाया था। इसतरह से गुलजार देवी ने रामसुंदर यादव को 13 हजार चार सौ 15 वोट के अंतर से हरा दिया था। वहीं निर्दलीय कैंडिडेट ज्योति झा, 10 हजार आठ सौ 61 वोट तीसरे स्थान पर रहीं थीं।

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Phulparas Seat Result 2010।। एक नजर 2010 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर

वहीं 2010 के विधानसभा चुनाव में फुलपरास सीट से जेडीयू की टिकट पर गुलजार देवी ने जीत हासिल की थी।  गुलजार देवी ने चुनाव में 36 हजार एक सौ 13 वोट हासिल किया था। वहीं आरजेडी कैंडिडेट वीरेंद्र कुमार चौधरी ने 23 हजार सात सौ 69 वोट हासिल किया था। इस तरह से गुलजार देवी ने वीरेंद्र कुमार चौधरी को 12 हजार तीन सौ 44 वोट के बड़े अंतर से हरा दिया था। वहीं निर्दलीय कैंडिडेट सत्य नारायण अग्रवाल, 9 हजार एक सौ आठ वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

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Phulparas Seat Result 2005।। एक नजर 2005 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर

वहीं 2005 के विधानसभा चुनाव में फुलपरास सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर देवनाथ यादव ने जीत हासिल की थी। देवनाथ यादव ने चुनाव में 29 हजार पांच सौ वोट हासिल किया था। वहीं जेडीयू कैंडिडेट भारत भूषण मंडल को 24 हजार पांच सौ 22 वोट ही मिल पाया था। इस तरह से देवनाथ यादव ने भारत भूषण मंडल को 4 हजार नौ सौ 78 वोट से हरा दिया था। वहीं आरजेडी कैंडिडेट राम कुमार यादव,  23 हजार तीन सौ 21 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे। 

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फुलपरास विधानसभा सीट पर यादव और ब्राह्मण वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। दोनों समाज के वोटरों की आबादी 30 फीसद से भी ज्यादा है। वहीं अति पिछड़ी जातियों की भी चुनावी नतीजे तय करने में अहम भूमिका होती है। इसके अलावा फुलपरास में मुस्लिम वोटर भी करीब 10 फीसदी हैं। पिछली बार के चुनाव में लोजपा कैंडिडेट ने यहां से दस हजार से ज्यादा वोट हासिल किया था, लेकिन इस बार लोजपा के एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से जेडीयू लीडर शीला कुमारी मंडल को बड़ा फायदा हो सकता है। वहीं तेजस्वी यादव कि कोशिश है कि मिथिला में ब्राह्मण और अति पिछड़े वोटरों को आरजेडी के पाले में लाया जाए, लेकिन अगर तेजस्वी की ये कोशिश सफल नहीं हुई तो शीला कुमारी मंडल की स्थिति काफी मजबूत हो जाएगी।

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