Bihar News: शिक्षा में सुधार की दिशा में बड़ा फैसला, बिहार सरकार ने बनाई नई निर्माण नीति

Edited By Ramanjot, Updated: 19 Feb, 2025 12:52 PM

big decision towards improvement in education

बिहार सरकार ने शिक्षा विभाग के निर्माण और विकास कार्यों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब सभी असैनिक (सिविल) कार्यों का क्रियान्वयन बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BSEIDC) के माध्यम से किया जाएगा।

पटना: बिहार सरकार ने शिक्षा विभाग के निर्माण और विकास कार्यों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब सभी असैनिक (सिविल) कार्यों का क्रियान्वयन बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BSEIDC) के माध्यम से किया जाएगा। यह निर्णय 31 मार्च 2025 से लागू होगा। इसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारियों को कोई निर्माण संबंधी राशि नहीं दी जाएगी, जिससे वे पूरी तरह से शैक्षणिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

निर्माण कार्यों में सुधार के लिए लिया गया फैसला

शिक्षा विभाग द्वारा की गई समीक्षा में पाया गया कि वर्तमान में विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से विकास कार्यों के क्रियान्वयन के कारण योजनाओं की गुणवत्ता और निगरानी प्रभावित हो रही है। कई जिलों में एक ही विद्यालय परिसर में अलग-अलग योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे निर्माण कार्यों में समेकित विकास नहीं हो पा रहा है। इसे देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 31 मार्च 2025 के बाद केवल BSEIDC ही शिक्षा विभाग के सभी निर्माण कार्यों का निष्पादन करेगा।

क्या हैं नई व्यवस्था के अहम बिंदु?

  • 31 मार्च 2025 के बाद शिक्षा विभाग के सभी निर्माण और विकास कार्य केवल BSEIDC के माध्यम से ही किए जाएंगे।
  • प्रधानाध्यापक अपने स्तर पर केवल 50 हजार रुपये तक की मरम्मत का कार्य करा सकेंगे। यह राशि सीधे उनके खाते में स्थानांतरित की जाएगी।
  • जिला शिक्षा पदाधिकारियों को किसी भी निर्माण कार्य की राशि नहीं मिलेगी। इसके बजाय, विभाग सीधे BSEIDC को फंड मुहैया कराएगा।
  • 31 मार्च 2025 तक सभी मौजूदा निर्माण योजनाओं का भुगतान और दस्तावेजीकरण पूरा किया जाएगा। यदि कोई योजना अधूरी रहती है, तो उसे BSEIDC को स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

इस बदलाव के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी और अन्य अधिकारी पूरी तरह से शैक्षणिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

क्यों लिया गया यह निर्णय?

सरकार की समीक्षा में यह सामने आया कि शिक्षा विभाग के विकास कार्यों में कई एजेंसियों के शामिल होने से समन्वय में दिक्कतें आ रही थीं। अलग-अलग एजेंसियों के माध्यम से निर्माण होने के कारण निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण प्रभावित हो रहा था। इसके अलावा, जिला शिक्षा पदाधिकारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारी निर्माण कार्यों में उलझकर शैक्षणिक गतिविधियों पर पूरा ध्यान नहीं दे पा रहे थे। शिक्षा विभाग ने इस नई व्यवस्था को शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। इससे न केवल निर्माण कार्यों में पारदर्शिता आएगी, बल्कि स्कूलों के समेकित विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

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