Edited By Ramanjot, Updated: 07 Feb, 2025 06:06 PM
बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों (एनक्यूएएस) के अनुरूप विकसित करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। राज्य के स्वास्थ्य संस्थानों को एनक्यूएएस प्रमाणन दिलाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
पटना: बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों (एनक्यूएएस) के अनुरूप विकसित करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। राज्य के स्वास्थ्य संस्थानों को एनक्यूएएस प्रमाणन दिलाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक प्रभावी एवं गुणवत्तापूर्ण बनाना है, ताकि आमजन को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त हो सकें।
तीन स्तरों पर स्वास्थ्य संस्थानों का चयन
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने बताया कि जिले, अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य संस्थानों का चयन किया जा रहा है।
जिला स्तर: प्रत्येक जिले में 38 स्वास्थ्य केंद्र
अनुमंडल स्तर: 101 संस्थान
प्रखंड स्तर: प्रत्येक प्रखंड से एक आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर
कुल मिलाकर 534 स्वास्थ्य संस्थानों को एनक्यूएएस प्रमाणन के लिए चिह्नित किया गया है, जहां आवश्यक सुधार किए जाएंगे।
जल्द ही बढ़ेगी सर्टिफाइड संस्थानों की संख्या
वर्तमान में बिहार में 25 राष्ट्रीय और 64 राज्य स्तरीय स्वास्थ्य संस्थान एनक्यूएएस प्रमाणन प्राप्त कर चुके हैं। साथ ही 35 अतिरिक्त स्वास्थ्य संस्थानों को जल्द ही यह प्रमाणन दिया जाएगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों, कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स (सीएचओ) और अन्य पदाधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे वे अपने-अपने संस्थानों में गुणवत्ता सुधार के लिए आवश्यक कदम उठा सकें।
गुणवत्ता बढ़ाने के मानकों पर काम
एनक्यूएएस प्रमाणन प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य संस्थानों को निम्नलिखित मानकों पर परखा जा रहा है:
सेवा प्रदायगी
मरीज संतुष्टि
क्लिनिकल सर्विसेज
संक्रमण नियंत्रण
सपोर्ट सर्विसेज
गुणवत्तापूर्ण प्रबंधन
आउटपुट
इन मानकों को पूरा करने से प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार होगा और स्वास्थ्य कर्मियों की क्षमता में भी वृद्धि होगी।
स्वास्थ्य सेवाओं में आएगा बड़ा बदलाव
राज्य सरकार की इस पहल से स्वास्थ्य केंद्रों की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी, जिससे मरीजों को उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी। यह प्रयास सिर्फ संस्थानों को प्रमाणित करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतर गुणवत्ता बनाए रखने का भी मार्ग प्रशस्त होगा। उम्मीद है कि दिसंबर 2025 तक स्वास्थ्य संस्थानों में क्रांतिकारी सुधार के साथ प्रदेश में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत होगा।