बिहार सरकार की अनूठी पहल: चौर भूमि से निकलेगा मछली पालन और खेती का रास्ता

Edited By Ramanjot, Updated: 12 Jun, 2025 07:23 PM

bihar fishery development scheme

बिहार सरकार मत्स्य पालन के जरिए उद्यमिता और रोजगार को बढ़ावा दे रही है।

पटना:बिहार सरकार मत्स्य पालन के जरिए उद्यमिता और रोजगार को बढ़ावा दे रही है। पशु और मत्स्य संसाधन विभाग के मत्स्य निदेशालय के द्वारा राज्य में बड़े पैमाने पर उपलब्ध निजी चौर भूमि को मत्स्य आधारित समेकित जलकृषि हेतु विकसित करना है जिससे अव्यवहृत पड़े चौर संसाधनों में मछली पालन के साथ-साथ कृषि, बागवानी एवं कृषि वानिकी का समेकन कर उत्पादन एवं उत्पादकता में अभिवृद्धि की जा रही है। इस योजनान्तर्गत चौर विकास हेतु “लाभूक आधारित चौर विकास” एवं “उद्यमी आधारित चौर विकास” का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजनान्तर्गत एक हेक्टेयर रकवा में दो तालाब निर्माण जिसका इकाई लागत (इनपुट सहित) रू0 8.88 लाख/हे0 है। 

एक हेक्टेयर रकवा में चार तालाब निर्माण में इकाई लागत (इनपुट सहित) रू0 7.32 लाख/हे0 है तथा एक हेक्टेयर रकवा में एक तालाब निर्माण एवं भूमि विकास में इकाई लागत (इनपुट सहित) रू0 9.69 लाख/हे0 है। इस योजनान्तर्गत उत्यंत पिछड़ा वर्ग/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए 70 प्रतिशत तथा अन्य वर्ग के लिए 50 प्रतिशत अनुदान एवं उद्यमी आधारित चौर विकास के लिए 40 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। 

अधिक जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति अधिकारिक बेवसाइट https://state. bihar.gov.in/ahd/CitizenHome.html पर अथवा जिला मत्स्य कार्यालय में संपर्क कर सकते है। यह अव्यवहृत पड़े चौर संसाधनों में मछली पालन को एक उद्यम के रूप् में स्थापित करने रोजगार के नए अवसर सृजित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

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