Edited By Nitika, Updated: 22 Aug, 2024 12:31 PM
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को साइकिल मुहैया करवाने के फैसले ने एक अद्भुत क्रांति ला दी है। दरअसल, आईआईटी नई दिल्ली व नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज द्वारा साइकिल चलाने संबंधी शोध किया गया है।...
पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को साइकिल मुहैया करवाने के फैसले ने एक अद्भुत क्रांति ला दी है। दरअसल, आईआईटी नई दिल्ली व नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज द्वारा साइकिल चलाने संबंधी शोध किया गया है। वहीं शोध के अनुसार, बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल जाने के लिए साइकिल का प्रयोग कर रही हैं।
"साइकिल चलाने के स्तर में अभूतपूर्व वृद्धि एक मौन क्रांति"
इस संबंधी मुंबई के नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज की अदिति सेठ ने कहा कि देश के एक बड़े हिस्से में साइकिल चलाने के स्तर में अभूतपूर्व वृद्धि एक मौन क्रांति है। इस मौन क्रांति का नेतृत्व लड़कियां कर रही हैं। वहीं इस संबंधी आईआईटी-दिल्ली की पीएचडी शोधार्थी सृष्टि अग्रवाल का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर स्कूल जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल 2007 से 2017 में 6.6 प्रतिशत से बढ़कर 11.2 प्रतिशत हो गया है।
सीएम के अद्भुत फैसले का परिणाम
वहीं आईआईटी दिल्ली की शोध रिपोर्ट पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद संजय कुमार झा ने कहा कि नीतीश कुमार के विज़न से राज्य में यह साइलेंट रिवोल्यूशन उस वक्त शुरू हुआ, जब कोई इस दिशा में सोच भी नहीं सकता था। सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में झा ने कहा कि देश-दुनिया में इसकी सराहना हुई है। कई अन्य राज्यों ने भी इस मॉडल को लागू किया। सीएम नीतीश के उस दूरदर्शी फैसले का फल आज सबके सामने है।
गौरतलब है कि वर्ष 2005 में बिहार की सत्ता संभालने के बाद नीतीश कुमार के द्वारा पटना में एक सरकारी समारोह में पढ़ने वाली दलित लड़कियों को साइकिल वितरण किया जा रहा था। वितरण के बाद जब लड़कियां साइकिल चला कर जाने लगीं तो उस दृश्य को देख नीतीश कुमार बेहद खुश हुए। उन्होंने तभी अधिकारियों से कहा कि क्यों न सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली सभी लड़कियों को साइकिल दी जाए। इस तरह से लड़कियों के लिए साइकिल योजना की शुरुआत हुई।
बिहार में लड़कियों के लिए साइकिल योजना की शुरुआत 2006 में हुई थी। इस योजना से लड़कियों में न सिर्फ़ आत्मविश्वास बढ़ा, बल्कि इस योजना में बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या में भी ज़बरदस्त बढ़ोतरी हुई।