बिहार के तिलकुट को मिलेगा GI टैग, मिलेगी वैश्विक पहचान;कारोबार में होगा इजाफा

Edited By Harman, Updated: 13 Feb, 2025 11:03 AM

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बिहार के गया का तिलकुट खासा लोकप्रिय है। वहीं अब यहां के तिलकुट को जीआई टैग (GI) मिलने की संभावना जताई जा रही है।

 Tilkut GI Tag: बिहार के गया का तिलकुट खासा लोकप्रिय है। वहीं अब यहां के तिलकुट को जीआई टैग (GI) मिलने की संभावना जताई जा रही है। वहीं इस बात से तिलकुट कारोबारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।

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तिलकुट कारोबारियों में खुशी की लहर

बता दें कि जीआई टैग मिलने के बाद गया के तिलकुट को अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल जाएगी। साथ ही तिलकुट व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों की कमाई में भी बढ़ौतरी होगी। बताया जा रहा है कि जीआई टैग के लिए प्रारंभिक प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गई है। वहीं इस बाबत तिलकुट व्यापारियों का कहना है कि वह तिलकुट को जीआई टैग दिलवानें के लिए बहुत देर से अथक प्रयास कर रहे थे।

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स्वास्थ्य दृष्टिकोण से भी ये मिठाई बहुत लाभदायक

बता दें कि यहां का तिलकुट अपने अनोखे स्वाद की वजह से पूरे भारत में मशहूर है। लोग गया के तिलकुट के खासे दीवाने है। इसका निर्यात भारत के अन्य राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में होता है। तिल और गुड़ या चीनी  के मिश्रण से बनी यह पारंपरिक मिठाई त्योहारों का मुख्य व्यंजन है। वहीं स्वास्थ्य दृष्टिकोण से भी इस मिठाई बहुत लाभदायक है।

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ठंडे के मौसम में तिलकुट की बिक्री सबसे अधिक

स्थानीय उत्पादकों का मानना ​​है कि गया कि तिलकुट की बात ही अलगा है, यहां का तिलकुट महीनों तक खराब नहीं होता है। ठंडे के मौसम में तिलकुट की बिक्री सबसे अधिक होती है।  तिलकुट व्यापारियों का कहना है कि अभी करीब 50 करोड़ रुपए का वार्षिक कारोबार होता है, लेकिन जीआई टैंग मिलने के बाद तिलकुट का कारोबार सालाना एक सौ करोड़ से अधिक हो जाएगा।


 

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