Edited By Ramanjot, Updated: 06 Oct, 2022 12:44 PM

बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी ने बुधवार को नीतीश सरकार पर पिछड़ों एवं अति पिछड़ों को आरक्षण नहीं देने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया और कहा कि निकाय चुनाव में जाति आधारित आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार को आयोग का गठन करना था।...
पटनाः बिहार में नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण पर रोक लगाने के पटना उच्च न्यायालय के फैसले के बाद जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने एक दूसरे पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया है।
सम्राट ने नीतीश सरकार पर लगाया साजिश रचने का आरोप
बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी ने बुधवार को नीतीश सरकार पर पिछड़ों एवं अति पिछड़ों को आरक्षण नहीं देने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया और कहा कि निकाय चुनाव में जाति आधारित आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार को आयोग का गठन करना था। आयोग की अनुशंसा के संदर्भ में ही आरक्षण तय होता। लेकिन, राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया। जिसका नतीजा है कि पिछड़ों के आरक्षण पर पटना उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राज्य सरकार के आरक्षण विरोधी रवैया के खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगी। भाजपा ने अति पिछड़ों को आरक्षण देने में विफल रहने को लेकर गुरुवार को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला जलाने का निर्णय लिया है।
अब तक बिना बाधा के हुए पंचायतों और निकायों के चुनावः ललन
उधर, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ने कहा कि बिहार की पंचायतों में 2006 और नगर निकायों में 2007 से पिछड़ा, अति पिछड़ा, महिला, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए आरक्षण लागू है। यह मामला उस समय भी उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में गया था। दोनों न्यायालयों से राज्य सरकार के फैसले की संपुष्टि हो चुकी है। उस समय से अब तक पंचायतों और निकायों के चुनाव बिना किसी बाधा के हुए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर आरक्षण देने का आदेश दिया था। यह बिहार में लागू नहीं होता है।