पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार ने कहा- बिहार में पुरानी तकनीक से चलने वाले ईंट भट्ठे होंगे बंद

Edited By Nitika, Updated: 18 May, 2022 11:56 AM

brick kilns running on old technology will be closed

बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में पुरानी तकनीक से संचालित ईंट भट्ठों को बंद करवाया जाएगा।

 

पटनाः बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में पुरानी तकनीक से संचालित ईंट भट्ठों को बंद करवाया जाएगा।

नीरज कुमार ने यहां ताप विद्युत संयंत्रों से निकलने वाले फ्लाई ऐश की उपयोगिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की जारी अधिसूचना के सफल कार्यान्वयन के लिए आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में संचालित नई स्वच्छ तकनीक पर आधारित ईंट भट्ठो को छोड़कर पुरानी तकनीक से संचालित भट्ठों को बंद करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार एक प्रखंड में ईंट भट्ठों की अधिकतम सीमा तय करने पर भी विचार करेगी एवं निर्धारित संख्या से अधिक भट्ठों के संचालन पर रोक लगाई जाएगी।

मंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से जिस प्रकार पेड़ों को बचाने के लिए नए आरा मिलों की स्थापना को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है उसी प्रकार उपजाऊ ऊपरी मृदा संरक्षण के लिए नए ईंट भट्ठों की स्थापना को सहमति नहीं प्रदान करने पर विचार किया जाएगा। साथ ही उनकी संख्या को भी नियंत्रित करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक भट्ठे से दूसरे भट्ठे की निर्धारित की गई दूरी के लिए जारी दिशा-निर्देश का पूर्ण रूप से पालन करवाया जाएगा। इस मौके पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने कहा कि पहले ताप विद्युत संयंत्रों से उत्सर्जित फ्लाई ऐश का भंडारण एक समस्या थी लेकिन आज यह उत्पाद के कच्चे माल के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य में फ्लाई ऐश का शत-प्रतिशत उपयोग करने पर केंद्रित यह कार्यशाला प्रदेश को कार्बन न्यूट्रल बनाने में काफी महत्वपूर्ण है।

डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स के उपाध्यक्ष डॉ. सोमैन मैती ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक बिहार में करीब 7500 ईंट निर्माण इकाइयां स्थापित हैं। ऐसी इकाइयों का परिवेशीय वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस के उत्सर्जन में परिवहन क्षेत्र और ताप विद्युत संयंत्र के बाद तीसरा स्थान है। लाल ईंट के निर्माण से बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य की उर्वरा ऊपरी मृदा का क्षय होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में फ्लाई ऐश आधारित करीब 500 इकाइयां स्थापित हैं। यदि राज्य के ताप विद्युत संयंत्रों से उत्सर्जित फ्लाई ऐश और ऐश पॉड का ऐश भी मिल जाए तो मौजूदा इकाइयों के अलावा करीब 2 हजार नई इकाइयां स्थापित हो सकती हैं।
 

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