Vaishali Buddha Smarak Stupa: वैशाली में बना भारत का सबसे ऊंचा स्टोन स्तूप, जल्द होगा उद्घाटन

Edited By Ramanjot, Updated: 30 Jun, 2025 08:26 PM

buddha samyak darshan museum bihar

भगवान बुद्ध धरती वैशाली में पवित्र पुष्करणी तालाब एवं पौराणिक मिट्टी स्तूप के निकट 550.48 करोड़ रुपये की लागत से 72.94 एकड़ के क्षेत्रफल में सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप का निर्माण किया गया है।

पटना:भगवान बुद्ध धरती वैशाली में पवित्र पुष्करणी तालाब एवं पौराणिक मिट्टी स्तूप के निकट 550.48 करोड़ रुपये की लागत से 72.94 एकड़ के क्षेत्रफल में सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप का निर्माण किया गया है। इसका उद्घाटन जल्द होने जा रहा है। इसके निर्माण का उदेश्य इस भूखण्ड पर भगवान बुद्ध की स्मृति अवशेषों को यहां सुरक्षित रखा गया है। ताकि आमजन इसके दर्शन कर सकें। स्तूप को आकर्षक वास्तुशिल्प एवं बेमिसाल नक्काशी से खूबसूरत रूप दिया गया है।

वैशाली में भगवान बुद्ध की अस्थि कलश मिली है, जिसे बुद्ध स्मृति स्तूप में स्थापित किया जाएगा। महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित घटनाओं और बौद्ध धर्म से जुड़े प्रसंगों को दो संग्रहालयों में दर्शाया जा रहा है। इससे यहां बौद्ध धर्मावलंबियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटकों के आने की संभावना है।

आधुनिक भारत के इतिहास में पहली बार बिहार के वैशाली जिले में केवल पत्थरों से एक बड़े स्तूप का निर्माण किया गया है। सीमेंट, ईंट या कंक्रीट जैसी सामग्री के बिना ही 4 हजार 300 वर्ग मीटर के भूखंड पर स्मृति स्तूप का निर्माण किया गया। स्तूप की कुल ऊंचाई 33.10 मीटर, आंतरिक व्यास 37.80 मीटर तथा बाहरी व्यास 49.80 मीटर है।

यह संरचना पूरी तरह पत्थरों से निर्मित है। इस संरचना का निर्माण कार्य चुनौतीपूर्ण रहा है। क्रेन से 12 टन तक के पत्थरों को ऊंचाई पर लगाना, इन पत्थरों के एक-एक कर फिट करना भवन निर्माण विभाग के लिए नया अनुभव रहा है। स्तूप में 38500 गुलाबी पत्थर लगाए गए हैं और पत्थरों को लगाने के लिए सीमेंट या किसी चिपकाने वाला पदार्थ या अन्य चीजों का प्रयोग नहीं किया गया है।

पत्थरों के चुनाव के लिए आईआईटी दिल्ली के रॉक मैकेनिक्स से विशेषज्ञों की एक टीम गठित की गई। टीम की सलाह पर स्तूप के निर्माण हेतु राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से सैंडस्टोन का चयन किया गया। इतिहास में कई स्मारकों, ऐतिहासिक मंदिरों तथा इमारतों में इसका व्यापक उपयोग हुआ है और वर्तमान में अयोध्या में निर्मित भव्य राम मंदिर भी इसी बंसी पहाड़पुर के पत्थर से निर्मित है। 

भूकंप-रोधक क्षमता को ध्यान में रखते हुए स्मृति स्तूप को भूकंपरोधी बनाने में कई मॉडर्न तकनीकों का उपयोग किया गया है जिससे स्तूप की मूलभूत संरचना हजारों वर्षों तक सुरक्षित रहेंगी। हजारों टन पत्थरों का वजन झेलने में सक्षम नींव भी तैयार किया गया।

बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप परिसर में स्तूप, संग्रहालय ब्लॉक, आगंतुक केंद्र भवन, पुस्तकालय भवन एवं ध्यान केंद्र भवन, अतिथि गृह तथा एम्पी थियेटर एवं सर्विस एरिया का निर्माण किया गया है। इसके अलावा गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था, कैफेटेरिया, टिकट काउंटर समेत अन्य जरूरी चीजों को भी ध्यान रखा गया है। 

वास्तुकला की बेजोड़ कृति यह स्तूप, भारत का सबसे ऊंचा स्टोन स्तूप है। इसकी ऊंचाई विश्व प्रख्यात सांची स्तूप से लगभग दोगुना है। प्रवेश के लिए बना सांची से भव्य तोरण द्वार, बौद्ध वास्तुकला की पराकाष्ठा को दर्शाता है, जबकि 32 रोशनदान, स्तूप में निरंतर प्रकाश व हवा का प्रवाह बनाए रखते हैं। भगवान बुद्ध से जुड़ी हुई स्मृतियों को रखने हेतु संग्रहालय में भगवान बुद्ध से संबंधित प्रदर्श एवं कलाकृतियों का अधिष्ठापन किया गया। 

 स्तूप परिसर में पर्यावरण के दृष्टि से भी काफी काम किया गया है। परिसर को सुंदर दिखाने के लिए वृहद पैमाने पर आम के पौधे लगाए गए हैं। कुल हरियाली क्षेत्र लगभग 271689 वर्गमीटर है। सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युत आपूर्ति हेतु 500 किलोवाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं। इसके साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। परिसर की सुंदरता बढ़ाने के लिए तालाब के किनारे अन्य जल संरचना में कुछ आवश्यक निर्माण किया जा रहा है। 

नए स्तूप परिसर को ऐतिहासिक मड स्तूप से जोड़े जाने का भी प्लान है और इसके लिए जरूरी काम किया जा रहा है। बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप परिसर में कई स्थलों पर छोटे-छोटे कार्य किए जा रहे हैं, जिससे परिसर और सुंदर एवं मनमोहक लग सके।

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