Edited By Ramanjot, Updated: 05 May, 2023 12:07 PM
नीतीश कुमार ने गुरुवार को बिहार प्रांत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. मुहम्मद युनूस की जयंती पर आयोजित राजकीय समारोह को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं के जाति आधारित गणना से संबंधित प्रश्न के उत्तर में कहा कि वर्ष 2021 में जनगणना होनी चाहिए थी लेकिन...
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में चल रही जाति आधारित जनगणना पर पटना उच्च न्यायालय के अंतरिम रोक के फैसले के बाद कहा कि वर्ष 2019 में ही विधानमंडल के दोनों सदन में सर्वसम्मति से पूरे देश में जातीय गणना कराने संबंधी प्रस्ताव पारित हुआ था और इसमें नौ राजनीतिक दलों की सहमति थी।
"2021 में जनगणना होनी चाहिए थी लेकिन नहीं हुई"
नीतीश कुमार ने गुरुवार को बिहार प्रांत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. मुहम्मद युनूस की जयंती पर आयोजित राजकीय समारोह को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं के जाति आधारित गणना से संबंधित प्रश्न के उत्तर में कहा कि वर्ष 2021 में जनगणना होनी चाहिए थी लेकिन नहीं हुई। यह हर दस वर्ष पर होती है लेकिन पहली बार दस वर्ष पर नहीं हुआ है। वर्ष 2011 में एक अलग से जाति आधारित जनगणना की गई थी लेकिन उसको जारी नहीं किया गया। हमलोगों ने वर्ष 2019 में ही विधानसभा और विधानपरिषद दोनों हाऊस से सर्वसम्मति से ये पारित किया कि पूरे देश में जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए।
"हमलोग सबके हित में कर रहे काम"
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमलोगों ने केंद्र से दो-दो बार ऐसी मांग की। इसके लिए प्रधानमंत्री से भी मिले लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला और वहां से कहा गया कि आपलोगों को करना है तो अपना कीजिए। फिर हमने सभी पार्टी के लोगों के साथ मिलकर बैठक की और सभी पार्टी ने ये तय किया कि जाति आधारित गणना हो। यह सबलोगों की राय से किया जा रहा है। इसमें सबलोगों की गिनती के साथ-साथ आर्थिक स्थिति का भी पता लगाया जाना है चाहे वो किसी भी जाति का हो, किसी भी समुदाय का हो। हमलोग सबके हित में यह काम कर रहे हैं। पता नहीं क्यों इसका विरोध हो रहा है, इससे तो पता चलता है कि लोगों को मौलिक चीज की समझ नहीं है।''