बिहार के 30,000 से अधिक ग्रामीण वार्डों में भूजल पीने योग्य नहीं, केमिकल वाला जहरीला पानी पी रहे हैं लोग!

Edited By Ramanjot, Updated: 15 Mar, 2025 05:00 PM

groundwater is not potable in more than 30 000 rural wards of bihar

हाल ही में विधानसभा में पेश बिहार आर्थिक सर्वेक्षण (2024-25) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 4709 ग्रामीण वार्डों में आर्सेनिक, 3789 वार्डों में फ्लोराइड और 21,709 वार्डों में आयरन अधिक है। प्रभावित वार्ड बक्सर, भोजपुर, पटना, सारण, वैशाली,...

पटना: बिहार के कुल 38 जिलों में से 31 जिलों के 26 प्रतिशत ग्रामीण वार्ड में भूजल स्रोतों में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा अनुमान्य सीमा से अधिक पाई गई है। बिहार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के कुल 38 जिलों में से 31 जिलों के 26 प्रतिशत ग्रामीण वार्ड में भूजल स्रोतों में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक है। 

हाल ही में विधानसभा में पेश बिहार आर्थिक सर्वेक्षण (2024-25) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 4709 ग्रामीण वार्डों में आर्सेनिक, 3789 वार्डों में फ्लोराइड और 21,709 वार्डों में आयरन अधिक है। प्रभावित वार्ड बक्सर, भोजपुर, पटना, सारण, वैशाली, लखीसराय, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया, मुंगेर, कटिहार, भागलपुर, सीतामढी, कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, नालंदा, नवादा, शेखपुरा, जमुई, बांका, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, अररिया और किशनगंज जिलों में स्थित हैं।

पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए MVS भी लागू कर रही सरकार 
पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा, "हम इस तथ्य से अवगत हैं... स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने ग्रामीण बिहार को 'हैंडपंप मुक्त' बनाने और 'हर घर नल का जल' योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।" उन्होंने कहा कि सरकार राज्य में पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए बहु-ग्रामीण योजनाएं (एमवीएस) भी लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि 'हर घर नल का जल' योजना के तहत, पीएचईडी ग्रामीण क्षेत्रों में 83.76 लाख परिवारों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि 30,207 ग्रामीण वार्डों में परिवारों को पीने योग्य पानी भी उपलब्ध कराया जा रहा है, जहां प्रदूषण अधिक है। 

"भूजल में रासायनिक संदूषण का उच्च स्तर निश्चित रूप से चिंता का विषय"
मंत्री ने कहा, "राज्य सरकार पहले से ही नदी के पानी को पीने के लिए इस्तेमाल करने की योजना पर काम कर रही है। सितंबर 2024 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आवश्यक उपचार के बाद औरंगाबाद, डेहरी और सासाराम शहरों में पीने के लिए सोन नदी से पानी की आपूर्ति के लिए 1,347 करोड़ रुपये की परियोजना की आधारशिला रखी थी।" बिहार के प्रमुख गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. मनोज कुमार ने बताया, “राज्य के 30,207 ग्रामीण वार्डों में भूजल में रासायनिक संदूषण का उच्च स्तर निश्चित रूप से चिंता का विषय है। संबंधित अधिकारियों को भूजल के संदूषण के स्रोत की पहचान करनी चाहिए और इसे रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। इसके अलावा, प्रभावित वार्डों में नियमित आधार पर जागरूकता शिविर भी लगाया किए जाने चाहिए ताकि लोगों को दूषित भूजल के सेवन से उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जागरूक किया जा सके।” 

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