बिहार के स्कूलों में शिक्षा और सुविधाओं पर अनुश्रवण कोषांग की टीम रखेगी नजर

Edited By Swati Sharma, Updated: 06 Jun, 2024 06:35 PM

monitoring of schools is being done by bihar education department

बिहार शिक्षा विभाग द्वारा लगभग 8000 पदाधिकारियों / कर्मियों के माध्यम से राज्य के प्रत्येक जिले में अवस्थित सभी सरकारी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों का नियमित अनुश्रवण कराया जा रहा है। विद्यालयों के नियमित अनुश्रवण का मूल...

​पटनाः बिहार शिक्षा विभाग द्वारा लगभग 8000 पदाधिकारियों / कर्मियों के माध्यम से राज्य के प्रत्येक जिले में अवस्थित सभी सरकारी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों का नियमित अनुश्रवण कराया जा रहा है। विद्यालयों के नियमित अनुश्रवण का मूल उद्देश्य यह है कि प्रत्येक सरकारी विद्यालय का संचालन निर्धारित मानक के अनुरूप हो रहा है अथवा नहीं। यदि विद्यालय संचालन में किसी प्रकार की कमी अथवा कठिनाई है, तो अनुश्रवण के माध्यम से उसे ठीक कराया जा सके ताकि अध्ययनरत बच्चों के लिए विद्यालय में उचित शैक्षणिक वातावरण का निर्माण कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराया जा सके।

इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु विद्यालय अनुश्रवण व्यवस्था को और प्रभावी एवं सशक्त बनाने की आवश्यकता है, जिसके तहत शिक्षकों एवं बच्चों की उपस्थिति आधारभूत संरचना के साथ ही Academic Activities, Extra Curricular Activities तथा वर्ग कक्ष संचालन इत्यादि का भी सघन अनुश्रवण किया जाए। इस अनुश्रवण व्यवस्था से जहां एक तरफ विद्यालयों में कराये जा रहे विकास कार्य एवं शैक्षणिक परिवेश में सुधार परिलक्षित होंगे वहीं दूसरे तरफ सरकारी विद्यालयों के प्रति अभिभावक एवं बच्चों में आकर्षण भी बढे़गा।

शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने इस क्रम में निम्नांकित निर्देश दिए है।
(i) जिला के उप विकास आयुक्त द्वारा जिला अंतर्गत शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों में पदस्थापित सभी पदाधिकारियों (जिला शिक्षा पदाधिकारी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सहित) एवं कर्मियो को विद्यालय अनुश्रवण की जिम्मेवारी दी जाएगी।
(ii) जिला में मानव बल की उपलब्धता के आधार पर अनुश्रवण करने वाले प्रत्येक पदाधिकारी / कर्मी को 3 माह के लिए 10 से 15 विद्यालय आवंटित किया जाय, जो इस अवधि में इन विद्यालयों के सम्पूर्ण देखरेख में रहेंगे। विद्यालयों का आवंटन रोस्टर बनाकर किया जाए, ताकि जिला के सभी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों का प्रत्येक सप्ताह में कम-से-कम एक बार अनुश्रवण हो सके।
(iii) प्रभावी अनुश्रवण हेतु आवश्यक है कि निरीक्षी पदाधिकारी / कर्मी आवंटित विद्यालय में पर्याप्त समय दें एवं विद्यालय का सम्पूर्णता में अवलोकन करें। इस क्रम में प्रधानाध्यापक / शिक्षक के साथ विद्यालय संचालन में आने वाली कठिनाईयों पर विमर्श कर समग्र रूप से विद्यालय को विकसित करायें ताकि उक्त विद्यालय में बेहतर शैक्षणिक वातावरण तैयार हो सके।
(iv) निरीक्षी पदाधिकारी / कर्मी, अनुश्रवण हेतु आवंटित प्रत्येक विद्यालय का प्रत्येक सप्ताह में कम-से-कम एक बार निरीक्षण/अनुश्रवण अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करेंगे। निरीक्षी पदाधिकारी / कर्मी द्वारा विद्यालय संचालित रहने की स्थिति में प्रत्येक सप्ताह में 03 (तीन) दिन आवंटित विद्यालयों का निरीक्षण किया जायेगा। निरीक्षी पदाधिकारी/कर्मी आवश्यकतानुसार सप्ताह में एक से अधिक बार भी आवंटित विद्यालय का अनुश्रवण कर सकते हैं।
(v) अनुश्रवण के दौरान विद्यालय में पाई गई कमियों को ठीक कराने हेतु अनुश्रवणकर्ता जिम्मेवार होंगे। आगामी सप्ताह के अनुश्रवण में विद्यालय में पाई गई कमियों के सुधार की पुनः समीक्षा करेंगे। यदि कमी यथावत पाई जाती है तो कमी दूर होने तक अनवरत प्रयास करते रहेंगे. जब तक उक्त कमी पूर्णरूपेण ठीक न हो जाय। यदि निरीक्षी पदाधिकारी/अनुश्रवणकर्ता पायी गई कमी को अपने स्तर से दूर कराने में सक्षम नहीं है तो उक्त समस्या को अपने उच्चाधिकारी को अवगत कराते हुए निराकरण कराना सुनिश्चित करेंगे। इस बात का भी ध्यान रखा जाय कि मात्र खानापूर्ति हेतु अनावश्यक पत्राचार नहीं किया जाय।
(vi) उप विकास आयुक्त द्वारा प्रत्येक 03 माह पर अनुश्रवण करने वाले प्रत्येक पदाधिकारी/कर्मी का ( विद्यालय आवंटन से संबंधित रोस्टर परिवर्तित किया जाए एवं यह सुनिश्चित किया जाय कि विगत तिमाही में आवंटित स्कूल इस तिमाही में उक्त पदाधिकारी/कर्मी को पुन आवंटित न हो।
(vii) निरीक्षी पदाधिकारी/कर्मी निरीक्षित विद्यालय का निरीक्षण प्रतिवेदन विभाग द्वारा विकसित ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड करेंगे।

2. अनुश्रवण के दौरान देखे जाने वाले बिन्दु-
(i) आधारभूत संरचना
(a) विद्यालय में शिक्षक एवं बच्चों की संख्या के अनुरूप वर्ग कक्ष की उपलब्धता (ब्लैक बोर्ड चौक डस्टर सहित) विद्यालय भवन के रंग-रोगन इत्यादि का भी अवलोकन किया जाय।
(b) विद्यालय में निर्माणाधीन असैनिक कार्य (यदि हो) की प्रगति एवं गुणवत्ता।
(c) विद्यालय में किचन शेड, गैस चूल्हा एवं थाली इत्यादि की उपलब्धता।
(d) छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय की उपलब्धता (Running Water सहित) एवं उपयोगिता। शौचालय की साफ-सफाई एवं क्रियाशीलता को भी देखा जाय एवं यह भी देखा जाय कि शौचालयों में ताला तो बंद नहीं है।
(e) पेयजल की सुविधा। यदि विद्यालय में बोरिंग कराया गया है तो यह कार्य कर रहा है या नहीं?
(f) वर्ग कक्ष में आवश्यक उपस्कर (बेच-डेस्क इत्यादि) की उपलब्धता एवं निर्धारित मापदंड के अनुसार उसकी गुणवत्ता।
(g) माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला की उपलब्धता एवं उपयोगिता। यह भी देखा जाय कि प्रयोगशाला का बच्चों द्वारा नियमित उपयोग किया जा रहा है या नहीं?
(h) माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पुस्तकालय की उपलब्धता एवं उपयोगिता। यह भी देखा जाय कि पुस्तकालय का बच्चों द्वारा नियमित उपयोग किया जा रहा है या नही?
(i) मध्य, माध्यमिक / उच्च माध्यमिक विद्यालयों में ICT Lab की उपलब्धता एवं उपयोगिता। यह भी देखा जाए कि ICT Lab का बच्चों द्वारा नियमित उपयोग किया जा रहा है या नहीं?
(j) विद्यालय परिसर में चाह दीवारी की उपलब्धता।
(k) विद्यालय में बिजली कनेक्शन एवं मीटर की उपलब्धता।



 

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