पटना एसएसपी ने पीएफआई की तुलना आरएसएस से कीए भाजपा ने बयान वापस लेने की मांग की

Edited By PTI News Agency, Updated: 15 Jul, 2022 12:16 AM

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पटना, 14 जुलाई (भाषा) बिहार पुलिस ने चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआईं) के साथ संबंधों के आरोप में दो लोगों सहित तीन को गिरफ्तार किया है।

पटना, 14 जुलाई (भाषा) बिहार पुलिस ने चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआईं) के साथ संबंधों के आरोप में दो लोगों सहित तीन को गिरफ्तार किया है।
इसकी जानकारी देते हुए पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मानवजीत सिंह ढिल्लों के पीएफआई की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से तुलना की, जिसपर प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताते हुए उनसे अपना बयान वापस लेने और माफी मांगने की मांग की।

पत्रकारों से बृहस्पतिवार को बातचीत के दौरान मानवजीत सिंह ढिल्लों ने पटना के फुलवारीशरीफ इलाके में गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों द्वारा युवाओं को शारीरिक प्रशिक्षण दिए जाने के बारे में कहा कि ‘‘जैसे आरएसएस अपनी शाखा आयोजित करता है और लाठी का प्रशिक्षण देता है, उसी प्रकार से ये लोग युवाओं को बुलाकर उन्हें शारीरिक प्रशिक्षण देते थे और उनका कथित ब्रेनवाश कर उनके माध्यम अपना एजेंडा लोगों तक पहुंचाने का काम करते थे।’’
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमत्री सुशील कुमार मोदी ने पटना एसएसपी की उक्त टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि ‘‘धर्मनिरपेक्ष भारत को इस्लामी देश बनाने की साजिश में लिप्त पीएफआई के संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद इस प्रतिबंधित संगठन से आरएसएस जैसे देशभक्त संगठन की तुलना करना नितांत निंदनीय और अज्ञानतापूर्ण है।’’
उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि पटना के एसएसपी को ऐसा बयान तुरंत वापस लेना चाहिए और इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसा संगठन है, जो देशप्रेम, उच्च आदर्श और सर्वधर्म समभाव का प्रवर्तन करने में लगभग एक सदी से निष्ठापूर्वक लगा है।

उन्होंने कहा कि जिस संगठन ने अटल बिहारी वाजपेयी, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह जैसे अनेक यशस्वी नेतृत्व देश को दिये, उसकी तुलना आतंकवाद और कट्टरता को बढ़ावा देने वालों से बिल्कुल नहीं की जा सकती।

पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पटना के एसएसपी का यह कहना कि आरएसएस की गतिविधि और पीएफआई का प्रशिक्षण एक तरह का है, बहुत ही गैरजिम्मेदाराना, दुर्भाग्यपूर्ण और भर्त्सना योग्य है।

उन्होंने कहा कि ‘‘मैं इसकी पूरी भर्त्सना करता हूं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक प्रामाणिक राष्ट्रवादी संगठन है। देश के विकास, संस्कृति, संस्कार को लेकर और आतंकवाद के खिलाफ उसके स्वयंसेवक हमेशा खडे रहते हैं। हमें गर्व है, उनके काम पर। उसकी तुलना पीएफआई जैसे राष्ट्र विरोधी संगठन से करना, इससे बड़ी कोई गैर जिम्मेदाराना बात हो नहीं सकती।’’
पटना साहिब के सांसद प्रसाद ने कहा कि उन्हें आश्वासन मिला है कि बिहार सरकार का पुलिस महकमा इसपर उचित कार्रवाई करेगा।

भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह दर्शाता है कि एसएसपी ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। आप आरएसएस जैसे राष्ट्रवादी संगठन की तुलना पीएफआई से कैसे कर सकते हैं।’’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2013 के सिलसिलेवार धमाकों से लेकर प्रधानमंत्री मोदी जब भी बिहार आए हैं, तब उन्हें इस्लामिक आतंकवादियों ने निशाना बनाया है।

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी ने अक्टूबर 2013 में पटना के गांधी मैदान में बिहार में अपनी पहली रैली को संबोधित किया था, तब कार्यक्रम स्थल पर कई बम धमाके हुए थे।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने आरोप लगाया कि पटना एसएसपी की जुबान नहीं फिसली बल्कि पूरे अधिकार, आत्मविश्वास और शांत तरीके से दिया गया बयान है, जो दुर्भाग्य पूर्ण है।
आनंद ने आरोप लगाया कि एसएसपी ने जानबूझकर अपनी राजनीतिक आत्मीयता दिखाने और आकाओं को खुश करने के लिए यह बयान दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।’’
पत्रकारों द्वारा संपर्क किए जाने पर अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जे. एस. गंगवार ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि एसएसपी ने संदर्भ से बाहर जाकर बात की। एक संगठन की दूसरे से तुलना करना गलत है। हम उनसे इस मुद्दे पर बात करेंगे और उन्हें मामले की जांच पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देंगे।’’
पटना पुलिस ने बुधवार को फुलवारीशरीफ थाना अंतर्गत नया टोला मुहल्ला में छापेमारी कर पीएफआई से कथित तौर पर जुडे़ झारखंड के सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मोहम्मद जलालुद्दीन जिनके मकान में युवाओं को शारीरिक प्रशिक्षण के नाम पर उनका कथित ब्रेनवाश किया जाता था के साथ प्रतिबंधित संगठन सिम्मी के पूर्व कार्यकर्ता रहे अतहर परवेज को गिरफ्तार किया था।

इसके बाद एक स्थानीय निवासी और प्रशिक्षण आयोजित करने में मदद करने वाले अरमान मलिक को गिरफ्तार किया गया।

ढिल्लों ने बताया कि फुलवारीशरीफ मामले में कुल 26 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है, जिसमें अधिकांश लोग बिहार के हैं और कुछ लोग कर्नाटक सहित बिहार के बाहर के निवासी हैं।

उन्होंने बताया कि पीएफआई से जुडे ये लोग मस्जिद और मदरसों में युवाओं को जुटाने और कट्टरता को लेकर लगातार सक्रिय थे।

ढिल्लों के अनुसार फुलवारीशरीफ में झारखंड के एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी के स्वामित्व वाले परिसर के अंदर ‘‘इस्लामी कट्टरपंथ’’ के बारे में मिली एक गुप्त सूचना के बाद छापेमारी की गई थी, जहां कई लोग जिनमें से कुछ प्रदेश के बाहर के भी थे, ने सशस्त्र प्रशिक्षण नहीं बल्कि सामान्य शारीरिक प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

एसएसपी ने नेटवर्क के किसी भी तरह से पाकिस्तान से संबंध होने से इंकार किया, पर कहा कि ‘‘आतंकवाद के वित्तपोषण’’ के पहलुओं की जांच की जा रही है।

पुलिस के मुताबिक उसने 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के मद्देनजर अपनी निगरानी तेज कर दी थी, लेकिन ऐसे संकेत नहीं मिले हैं कि समूह का लक्ष्य वीआईपी कार्यक्रम को बाधित करना था।




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