जद(यू) ने भ्रष्टाचार के आरोपों पर आर सी पी सिंह से मांगा जवाब

Edited By PTI News Agency, Updated: 06 Aug, 2022 07:03 PM

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पटना, छह अगस्त (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आर सी पी सिंह से स्पष्टीकरण मांगा है।

पटना, छह अगस्त (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आर सी पी सिंह से स्पष्टीकरण मांगा है।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह से जवाब मांगा है। सिंह का हाल में राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो गया लेकिन पार्टी ने उन्हें फिर से सदन के लिए नहीं भेजा। कुशवाहा ने पत्र में लिखा है, ‘‘आप अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे माननीय नेता (मुख्यमंत्री) भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस (तनिक भी सहन नहीं करने)’ की नीति के साथ काम कर रहे हैं और वह अपने लंबे राजनीतिक करियर में बेदाग रहे हैं।’’ पत्र के साथ पार्टी के अज्ञात कार्यकर्ताओं द्वारा सिंह के खिलाफ की गई शिकायत को भी संलग्न किया गया है।

जद(यू) कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर 2013 और 2022 के बीच ‘‘बड़ी संपत्ति’’ अर्जित की गई। पत्रकारों के एक सवाल पर जद (यू) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, ‘‘यह खुलासा करना उचित नहीं है कि आरोप किसने लगाए हैं। लेकिन स्पष्टीकरण मांगा गया है। पार्टी उनके जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई तय करेगी।’’
एक सवाल के जवाब में कुशवाहा ने कहा कि जांच एजेंसियां इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने के लिए स्वतंत्र हैं, जिसके बारे में उन्हें मीडिया के जरिए पता चला होगा। हालांकि, यह पूछे जाने पर कि क्या यह घटनाक्रम पार्टी के पूर्व अध्यक्ष के लिए पार्टी में दरवाजे बंद होने का संकेत है, कुशवाहा ने कहा, ‘‘यह एक राजनीतिक सवाल है। पार्टी इस मामले को राजनीतिक रूप से नहीं देख रही है।’’
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व अधिकारी सिंह ने 1990 के दशक के अंत में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए नीतीश कुमार का विश्वास जीता था, जब कुमार केंद्रीय मंत्री थे। सिंह ने राजनीति में आने के लिए 2010 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।

सिंह ने कुमार के मुख्यमंत्री के रूप में पहले पांच वर्षों के दौरान प्रमुख सचिव के रूप में कार्य किया था। बाद में जद(यू) में सिंह का वर्चस्व बढ़ता गया, जिसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि उन्हें लगातार दो बार राज्यसभा भेजा गया। कुमार के बाद सिंह जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए।

इसके बाद, सिंह पिछले साल केंद्र में मंत्री बनाए गए जिसके बारे में समझा जाता है कि कुमार की इस पर सहमति नहीं थी क्योंकि वह गठबंधन सहयोगियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में ‘‘प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व’’ देने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीति से असहमत थे।

बिहार के मुख्यमंत्री की नाखुशी जल्द ही स्पष्ट हो गई जब सिंह को पार्टी प्रमुख का पद छोड़ने के लिए कहा गया। राज्यसभा के लिए एक और कार्यकाल से इनकार से उनका मंत्री पद भी चला गया और पार्टी में उनके करीबी समझे जाने वाले नेताओं को बाहर कर दिया गया।

बहरहाल, राज्य में गठबंधन सहयोगी भाजपा ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने एक बयान में कहा, ‘‘यह जद (यू) का आंतरिक मामला है। आदरणीय आरसीपी सिंह जी पर लगे आरोप जांच का विषय हैं। लेकिन हमें यह भी सुनना चाहिए कि उन्होंने जवाब में क्या कहा है।’’
मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा, ‘‘बिहार के लोग जद (यू) से जवाब के हकदार हैं कि यह व्यक्ति इतने लंबे समय तक कैसे यह सब करते रहे। यदि उनके कुकर्मों में उनके आकाओं की मौन स्वीकृति थी, तो यह निंदनीय है। यदि उन्होंने उच्च पदाधिकारियों को अंधेरे में रखकर यह काम किया, तो इससे उनकी समझदारी पर सवाल उठता है।’’


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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