Bihar: वन एवं पर्यावरण विभाग की बड़ी पहल, पटना के हर पार्क में ‘गौरेया कुटीर' का किया जाएगा निर्माण

Edited By Harman, Updated: 21 Mar, 2025 03:02 PM

sparrow cottage  will be constructed in every park of patna

बिहार में पटना शहर के सभी पार्क में गौरेया संरक्षित क्षेत्र ‘गौरैया कुटीर' का निर्माण किया जाएगा। गौरैया कुटीर का नाम गंगा कुटीर प्रस्तावित किया गया है। इसकी शुरुआत पटना के एस के पुरी पार्क से होगी। इस कुटीर का निर्माण वन एवं पर्यावरण विभाग की तरफ...

पटना: बिहार में पटना शहर के सभी पार्क में गौरेया संरक्षित क्षेत्र ‘गौरैया कुटीर' का निर्माण किया जाएगा। गौरैया कुटीर का नाम गंगा कुटीर प्रस्तावित किया गया है। इसकी शुरुआत पटना के एस के पुरी पार्क से होगी। इस कुटीर का निर्माण वन एवं पर्यावरण विभाग की तरफ से कराया जाएगा। गौरेया को संरक्षित करने के लिए यह व्यापक पहल विभाग के स्तर से शुरू की गई है। विभाग के पटना प्रमंडलीय वन संरक्षक सत्यजीत कुमार ने इस योजना की घोषणा करते हुए पूरी जानकारी दी है। 

पटना के हर पार्क में मिट्टी के छोटे- छोटे घर बनाए जाएंगे
पटना प्रमंडलीय वन संरक्षक सत्यजीत कुमार ने कहा कि गौरेया संरक्षण पर वन विभाग जल्द ही एक्शन प्लान जारी कर रहा है, जिसे गौरैयाविद् संजय कुमार ने तैयार किया है। इस छोटी पक्षी के संरक्षण को लेकर और भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। सत्यजीत कुमार ने बताया कि हमारी गौरैया और पर्यावरण वॉरियर्स (संरक्षक) की टीम लगातार अपने प्रयासों से गौरैया की वापसी करने में लगी हुई है। शहर के हर पार्क में मिट्टी के छोटे- छोटे घर बनाए जाएंगे, जिसकी छावनी बांसों के घेराव से की जाएगी। इसे लगभग 100-150 वर्गफीट आकार का बांसों की चचरी से तैयार किया जाएगा। इन बांसों में 33 एमएम की गोलाई का छेद किया जाएगा, जिसमें सिर्फ गौरेया ही प्रवेश कर सकती है।

गौरैया को आकर्षित करने के लिए घोंसले और दाना-पानी की भी व्यवस्था की जाएगी
सत्यजीत कुमार ने बताया कि इस चचरी के अंदर गौरेया की पसंद वाले सभी पौधे लगाए जाएंगे। मसलन, बैगनविलिया, नींबू, मधुमालती, अमरूद जैसे छोटे कांटेदार पौधे भी लगाए जाएंगे, जिन्हें गौरैया अपने रहने के लिए इस्तेमाल करती है। इन्हीं पौधों के बीच मिट्टी के घर बनाए जाएंगे, जिसमें गौरैया आराम से रह सकती है। इसके साथ ही गौरैया को आकर्षित करने के लिए घोंसले और दाना-पानी भी रखा जाएगा।गौरेयाविद् संजय ने कहा कि कभी घर-घर आकर चहचहाने वाली गौरेया आज विलुप्त हो गई है। इन्होंने कहा कि जिन कारणों से गौरेया विलुप्त हुई है, उसे कम करते हुए जीनवशैली में बदलाव की जरूरत है।

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