Darbhanga News...हमें अपनी मातृभाषा में ही बातचीत कर इसका करना चाहिए विकासः कुलपति प्रोफेसर संजय चौधरी

Edited By Swati Sharma, Updated: 22 Feb, 2024 10:34 AM

strengthen the roots of mother tongue

बिहार के प्रतिष्ठित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने मातृभाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए बुधवार को कहा कि मातृभाषा की जड़े मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि बच्चे अपनी मातृभाषा में आसानी से...

दरभंगा: बिहार के प्रतिष्ठित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने मातृभाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए बुधवार को कहा कि मातृभाषा की जड़े मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि बच्चे अपनी मातृभाषा में आसानी से ज्ञान-विज्ञान की बातें ज्यादा आसानी से समझ पाते हैं।                    

"भारत विविधताओं का देश"
चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय हिन्दी, उर्दू, मैथिली तथा संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में जुबली हॉल में आयोजित ‘अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' के अवसर पर 'नयी शिक्षा नीति और मातृभाषा में शिक्षा' विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि जब दो बंगाली कहीं भी मिलते हैं तो वे अन्य विषयों के विद्वान होते हुए भी आपस में सिर्फ बंगाल में ही बातें करते हैं। हमें भी अपनी मातृभाषा में ही बातचीत कर इसका विकास करनी चाहिए। हिन्दी के वरीय प्राध्यापक प्रो चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। जहां अनेक भाषाएं, संस्कृतियां तथा परंपराएं हैं। यही इंद्रधनुषी सौंदर्य भारत की खासियत है। आज की भारतीय शिक्षा- व्यवस्था का मूल ढांचा 1835 ई. की मैकालीय शिक्षा व्यवस्था ही है। आज भी औपनिवेशिक मानसिकता के शिकार हैं। जब मातृभाषा शिक्षा और रोजगार का माध्यम बनेगी, तभी इसका समुचित विकास होगा। साल 2002 में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी।

"सभी बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा का माध्यम उनकी मातृभाषा ही होनी चाहिए"
प्रोफेसर संजय कुमार ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार द्वारा उर्दू भाषा थोपे जाने पर आज के ही दिन 1952 में बांग्ला भाषा की रक्षा के लिए ढाका में लोग शहीद हुए थे। यह दिवस हमें बहुभाषिकता एवं बहुसांस्कृतिकता का बोध कराता है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में ही व्यक्ति के ज्ञान का नैसर्गिक विकास होता है। कुलसचिव डा अजय कुमार पंडित ने मातृभाषा दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नयी शिक्षा नीति-2020 में अपनी मातृभाषा में शिक्षा देने के महत्व को स्वीकार किया गया है। मातृभाषा के विकास से ही भारत का सर्वांगीण विकास संभव होगा। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मानविकी संकायाध्यक्ष सह कार्यक्रम संयोजक प्रो ए.के बच्चन ने मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सभी बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा का माध्यम उनकी मातृभाषा ही होनी चाहिए। इससे उन्हें ज्ञान ग्रहण करने में न केवल सुविधा होगी, बल्कि ज्यादा से ज्यादा व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त हो सकेगा।               

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