Edited By Swati Sharma, Updated: 27 Sep, 2023 11:20 AM
बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से छुपा नहीं है और सरकार सूबे में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का दावा करती है। इन सबके बीच पटना की एक ऐसी तस्वीर दिखाते है, जहां गंगा की उफनती लहरों के बीच बच्चे शिक्षा के लिए संघर्ष करते दिख जाएंगे।
पटना(अभिषेक कुमार सिंह):बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से छुपा नहीं है और सरकार सूबे में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का दावा करती है। इन सबके बीच पटना की एक ऐसी तस्वीर दिखाते है, जहां गंगा की उफनती लहरों के बीच बच्चे शिक्षा के लिए संघर्ष करते दिख जाएंगे।
इस गांव में आज भी नहीं है कोई विद्यालय
दरअसल, पटना के कलेक्ट्रेट घाट के बीच गंगा की धारा के बीचो-बीच एक टापू क्षेत्र है। इस टापू क्षेत्र का नाम है सबलपुर दियारा। यह क्षेत्र छपरा जिले में आता है। यह इलाका सोनपुर विधानसभा और छपरा लोकसभा में आता है। इस गांव में 1000 से अधिक परिवार रहते हैं और गांव में एक भी सरकारी विद्यालय नहीं है। गांव के लोग अपने बच्चों को रोज़ाना पढ़ने के लिए नाव से ही पटना स्कूल भेजते हैं। चाहे बच्चों को पहली कक्षा में पढ़ना हो या दसवीं कक्षा में पढ़ना हो उनके लिए एकमात्र साधन यही हैं। बच्चों को नाव से विद्यालय भेजने के दौरान अभिभावकों की जान तब तक हलक में रहती है, जब तक की बच्चे वापस घर नहीं लौटते हैं।
बच्चों को बरसात के महीनों में होती सबसे अधिक दिक्कत
बता दें कि मुजफ्फरपुर में बीते दिनों एक नाव हादसा हुआ था, जिसमें कई स्कूली बच्चे नदी में डूब गए थे। इन हादसों के बाद भी शिक्षा विभाग सबक नहीं ले रही है। बिहार के कई गांव आज भी ऐसे हैं, जहां बच्चों को नदी पार करके ही स्कूल जाना पड़ता हैं। वहीं, सबलपुर गांव के बच्चों को सबसे अधिक दिक्कत बरसात के महीनों में होती है। जब पानी का जसलस्तर काफी बढ़ जाता है। पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान गांव के बच्चे और ग्रामीण बताते हैं कि चुनाव के वक्त नेता आते है और स्कूल बनवाने का दावा कर चले जाते है। चुनाव में जीत के बाद उनका दावा ठंडे बस्ते में चला जाता है।
गौरतलब हो कि शिक्षा विभाग के अधिकारी बिहार में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लगातार स्कूलों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उसके बावजूद बिहार के कई ऐसे गांव हैं, जहां स्कूल नहीं है।