Edited By Nitika, Updated: 06 Aug, 2022 02:41 PM
मामला औरंगाबाद जिले की बर्डिह कला पंचायत के पिठनुआ गांव का है। बताया जा रहा है कि स्कूल की स्थिति ऐसी है कि जगह के अभाव में बच्चों को पेड़ की छांव में पढ़ाया जा रहा है। इतना ही नहीं 3 विद्यालय- उच्च विद्यालय, मध्य विद्यालय और नवसृजित प्राथमिक विद्यालय...
औरंगाबादः बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता हुआ एक मामला सामने आया है, जहां एक तरफ बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाना सरकार की प्राथमिकता कही जाती है, वहीं दूसरी तरफ जब बच्चों को बैठने के लिए जगह ही न मिले तो फिर अन्य सुविधाएं कहां से मिल पाएंगी। ऐसा ही कुछ औरंगाबाद जिले में देखने को मिला है, जहां पर 3 स्कूलों को 2 कमरों में चलाया जाता है। विद्यालय में बच्चों को पेड़ की छांव में पढ़ाया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक, मामला औरंगाबाद जिले की बर्डिह कला पंचायत के पिठनुआ गांव का है। बताया जा रहा है कि स्कूल की स्थिति ऐसी है कि जगह के अभाव में बच्चों को पेड़ की छांव में पढ़ाया जा रहा है। इतना ही नहीं 3 विद्यालय- उच्च विद्यालय, मध्य विद्यालय और नवसृजित प्राथमिक विद्यालय रामपुर को 2 कमरों में चलाया जा रहा है। इन विद्यालयों में कुल 424 छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते है। साथ ही वहां पदस्थापित शिक्षकों की संख्या 11 है, जो कि प्राथमिक से मध्य विद्यालय तक 10 शिक्षक और नवम एवं दशम वर्ग के छात्रों के लिए 1 शिक्षक की व्यवस्था है।
वहीं बारिश के मौसम में सभी बच्चे एक जगह स्कूल में आकर खड़े हो जाते है। बावजूद इसके भी पूरे बच्चे इन 2 कमरों में शामिल नहीं हो पाते, जिस कारण वह घर चले जाते है। प्रधानाध्यापक प्रदीप कुमार ने बताया कि बड़ी मुश्किलों से यहां पर शिक्षा दी जाती है। आपदा प्रबंधन विभाग को आवेदन पत्र भी भेज दिया गया है।