Edited By Khushi, Updated: 18 May, 2025 05:11 PM

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता ऋषिकेश सिंह ने कहा कि भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी द्वारा राज्य की नई शराब नीति पर दिया गया बयान न केवल भ्रामक है, बल्कि दुर्भावनापूर्ण भी है। सिंह ने कहा कि यह बयान किसी जन-भावना से प्रेरित नहीं, बल्कि...
रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता ऋषिकेश सिंह ने कहा कि भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी द्वारा राज्य की नई शराब नीति पर दिया गया बयान न केवल भ्रामक है, बल्कि दुर्भावनापूर्ण भी है। सिंह ने कहा कि यह बयान किसी जन-भावना से प्रेरित नहीं, बल्कि उस सिस्टम की हताश चीख है, जिसे सरकार ने बंद कर दिया है — ठेके, दलाली और कमीशन के जरिए फलते-फूलते शराब माफियाओं की दुकान अब बंद हो चुकी है।
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी जिस आत्मविश्वास से झूठ का पुलिंदा परोस रहे हैं, उससे यही साफ़ है कि सरकार की नई शराब नीति ने माफिया-ठेकेदारों के गठजोड़ पर ऐसी चोट की है जिसकी टीस भाजपा नेताओं को बेचैन कर रही है। मरांडी जी की राजनीति अब ‘ठेके छिन जाने की छटपटाहट' में बदल गई है। वे सवाल नहीं कर रहे, बल्कि अपने ‘बिचौलियों' की पैरवी कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि बाबूलाल मरांडी बताएं कि जब वे खुद मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने नशाबंदी के लिए क्या ठोस कदम उठाए थे? क्या भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा या असम में शराबबंदी है? क्या वहां की जनता को शराब से नुकसान नहीं? भाजपा की नैतिकता सिर्फ कैमरे के सामने है — कैमरे के पीछे वे उन्हीं शराब माफियाओं के साथ खड़े हैं, जिनकी दुकानें अब बंद हो रही हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि असल में भाजपा की राजनीति संवेदनाओं से नहीं, ठेकेदारों की जेब से संचालित होती है। सरकार ने शराब वितरण को सरकारी नियंत्रण में लाकर जो पारदर्शिता और राजस्व वृद्धि सुनिश्चित की है, वह भाजपा के भ्रष्ट मॉडल पर करारा तमाचा है। तथ्य क्या कहते हैं? 2019 तक शराब के ठेके भाजपा के नेताओं और उनके खासों को दिए जाते थे। राज्य का राजस्व 1,400-1,500 करोड़ पर अटका रहता था। नई नीति के बाद यह आंकड़ा 3,000 करोड़ पार कर गया है। अवैध बिक्री, मिलावट और काला बाज़ारी पर अभूतपूर्व नियंत्रण हुआ है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस स्पष्ट करती है — शराब माफिया, दलाल और भाजपा की तिकड़ी को सरकार ने तोड़ा है और आगे भी कोई समझौता नहीं होगा। झारखंड के राजस्व को चूने लगाने वाले अब बेनकाब हैं और उनकी आवाज़ें अब कराह बन चुकी हैं। भाजपा और बाबूलाल मरांडी को यह समझना होगा कि यह नया झारखंड है, जहां नीति बिकती नहीं, बनती है और जनता के हक में चलती है।