Chhath 2024: CM हेमंत ने डूबते सूरज को दिया अर्घ्य, राज्य की सुख और समृद्धि के लिए की प्रार्थना

Edited By Khushi, Updated: 07 Nov, 2024 06:44 PM

chhath 2024 cm hemant offered prayers to the setting sun

पूरे देश में छठ का त्यौहार मनाया जा रहा है। छठ पर्व का आज तीसरा दिन है। नहाए-खाए और खरना के बाद इस महापर्व में आज संध्याकाल में डूबते सूरज को अर्घ्य दिया गया। वहीं, सीएम हेमंत सोरेन ने भी डूबते सूरज को अर्घ्य दिया।

रांची: पूरे देश में छठ का त्यौहार मनाया जा रहा है। छठ पर्व का आज तीसरा दिन है। नहाए-खाए और खरना के बाद इस महापर्व में आज संध्याकाल में डूबते सूरज को अर्घ्य दिया गया। वहीं, सीएम हेमंत सोरेन ने भी डूबते सूरज को अर्घ्य दिया।

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सीएम हेमंत सोरेन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आज रांची के छठ घाट पर पहुंचे। उन्होंने राज्य और देशवासियों की सुख और समृद्धि के लिए कामना की। इस दौरान सीएम हेमंत ने कहा कि कल्पना गिरिडीह से चुनावी कार्यक्रमों में भाग ले रही है और मैं रांची से भाग ले रहा है। यही कारण रहा आज जब छठ घाट पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने गया तो कल्पना साथ नहीं थी। सीएम हेमंत ने कहा, छठी मइयां और भगवान भास्कर सभी छठ व्रती माताओं-बहनों और उनके परिवारजनों के तप को सफल करें, यही कामना करता हूं। जय छठी मइयां।

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बता दें कि छठ के तीसरे दिन पहले भगवान सूर्य और छठी मैया की विधिवत पूजा की जाती है। फिर शाम के समय अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। कहते हैं कि इस दिन सूर्य देव की उपासना से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान मिलता है। छठ पर्व के तीसरे दिन की पूजा को संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है। यह पूजा चैत्र या कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है। इस दिन सुबह से अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। पूजा के लिए लोग प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाते हैं। छठ पूजा के लिए बांस की बनी एक टोकरी ली जाती है, जिसमें पूजा के प्रसाद, फल, फूल, आदि अच्छे से सजाए जाते हैं। एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल रखे जाते हैं। सूर्यास्त से थोड़ी देर पहले लोग अपने पूरे परिवार के साथ नदी के किनारे छठ घाट जाते हैं। छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में महिलाएं गीत भी गाती हैं। इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करती हैं। अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध और जल चढ़ाया जाता है। उसके बाद लोग सारा सामान लेकर घर आ जाते है। घाट से लौटने के बाद रात्रि में छठ माता के गीत गाते हैं। 

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