Edited By Khushi, Updated: 09 Jan, 2025 05:20 PM
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने डोंबारी बुरु गोलीकांड में शहीद हुए असंख्य वीरों को श्रद्धांजलि दी और उन्हें याद किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है।
रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने डोंबारी बुरु गोलीकांड में शहीद हुए असंख्य वीरों को श्रद्धांजलि दी और उन्हें याद किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है।
सीएम हेमंत ने कहा कि देश की आजादी और हक-अधिकार की लड़ाई में झारखंड के असंख्य वीर पुरुखों ने अपना बलिदान दिया है, लेकिन इतिहास के पन्नों में इन बलिदानों को कहीं भुला दिया गया। हमें साथ मिलकर अपने वीर पुरुखों के महा बलिदानों को उचित स्थान दिलाना होगा। सीएम हेमंत ने आगे कहा कि डोंबारी बुरु गोलीकांड की घटना ऐसी ही एक वीभत्स घटना है, जहां झारखंडी अस्मिता, हक-अधिकार और जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लोहा लेते हुए हमारे असंख्य वीर पुरुखों ने बलिदान दिया था। हमारे वीर पुरुखों के बलिदान को कभी भूलने नहीं दिया जाएगा।
झारखंड के खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड का डोंबारी बुरू अंग्रेजों की क्रूरता का गवाह है। भगवान बिरसा मुंडा के आह्वान पर यहां अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की रणनीति बना रहे हजारों आदिवासियों पर ब्रिटिश हुकूमत ने अंधाधुंध फायरिंग की थी। इसमें सैकड़ों आदिवासी शहीद हो गए थे, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए थे। वह दिन 9 जनवरी, 1899 का था। डोंबारी बुरू की ये घटना जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल 1919) से पहले हुई थी। भगवान बिरसा मुंडा अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान को लेकर 9 जनवरी 1899 को अपने अनुयायियों के साथ सभा कर रहे थे। इस सभा की सूचना मिलने पर अंग्रेज सैनिक वहां आ धमके और सभास्थल को चारों ओर से घेर लिया। अंग्रेजों ने सभास्थल पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। बिरसा मुंडा और उनके साथियों ने भी काफी संघर्ष किया। इस गोलीबारी के बीच बिरसा मुंडा किसी तरह से निकलने में सफल रहे, लेकिन सैकड़ों आदिवासी शहीद हो गये। इस हत्याकांड में शहीद हुए लोगों की याद में यहां हर साल 9 जनवरी को मेला लगाया जाता है। मेले में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती हैय़