Edited By Khushi, Updated: 21 Aug, 2024 12:47 PM
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति के आरक्षण में वर्गीकरण के खिलाफ विभिन्न संगठनों के बंद का पलामू प्रमंडल के इलाके में व्यापक असर देखा गया। बड़ी संख्या में लोगों द्वारा सड़कों पर उतरकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया जा रहा है।
पलामूः अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति के आरक्षण में वर्गीकरण के खिलाफ विभिन्न संगठनों के बंद का पलामू प्रमंडल के इलाके में व्यापक असर देखा गया। बड़ी संख्या में लोगों द्वारा सड़कों पर उतरकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया जा रहा है।
बंद समर्थकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जो फैसला दिया गया है, इसका हम लोग विरोध जता रहे हैं और सरकार से मांग करते हैं कि एक अध्यादेश लाकर इस मुद्दे को खारिज करें। वहीं, जानकारी के मुताबिक नेशनल एवं स्टेट हाईवे पर परिचालन पूरी तरह से जाम कर दिया गया है जिस कारण वाहनों की लंबी कतार लग गई है। बस स्टैंड से बसों का भी परिचालन नहीं हुआ। इससे आने जाने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, बता दें कि भारत बंद से आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। बंद का असर पलामू के शहरी क्षेत्रों के साथ - साथ ग्रामीण इलाकों में भी देखा जा रहा है। बंद के कारण बाजार पर भी असर पड़ा और कई इलाकों में बाजार पूरी तरह से बंद करवा दिए गए है।
बता दें कि अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों ने आज (21 अगस्त) 'भारत बंद' का आह्वान किया है। कई पार्टियां इस बंद का समर्थन कर रही हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, ''सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए - सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।''