स्पेन, स्वीडन के निवेशक झारखंड में निवेश के इच्छुक: अधिकारी

Edited By Khushi, Updated: 05 May, 2025 06:41 PM

investors from spain sweden keen to invest in jharkhand

रांची: स्पेन और स्वीडन के निवेशकों ने झारखंड में निवेश करने में रुचि दिखाई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल की इन यूरोपीय देशों की यात्रा के बाद राज्य को सात...

रांची: स्पेन और स्वीडन के निवेशकों ने झारखंड में निवेश करने में रुचि दिखाई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल की इन यूरोपीय देशों की यात्रा के बाद राज्य को सात निवेश या साझेदारी के प्रस्ताव मिले हैं। दो संभावित विदेशी निवेशक झारखंड में करीब 2,853 करोड़ रुपये की परियोजनाएं लगाने को इच्छुक हैं।

प्रतिनिधिमंडल की स्पेन और स्वीडन यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए उद्योग सचिव अरवा राजकमल ने पत्रकारों से कहा, ‘‘इन कंपनियों के साथ बातचीत जारी है। जिन दो कंपनियों ने निवेश के आंकड़े उपलब्ध कराए हैं, वे अन्य राज्यों के साथ भी बातचीत कर रही हैं... इसलिए हमें उनका निवेश आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धा करनी होगी।'' प्रतिनिधिमंडल ने खनन, आधारभूत संरचना, निर्माण, इस्पात, नवीकरणीय ऊर्जा, मोटर वाहन और खाद्य प्रसंस्करण कारोबार से जुड़े औद्योगिक संगठनों एवं कंपनियों के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि झारखंड में निवेश को सुगम बनाने के लिए यूरोपीय कंपनियों के लिए एक समर्पित ‘डेस्क' स्थापित किया जाएगा। सोरेन नीत प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के लिए निवेश की तलाश के मकसद से 19 से 27 अप्रैल तक स्पेन तथा स्वीडन की यात्रा की थी। उन्होंने कहा, ‘‘यात्रा पूरी होने के एक सप्ताह के भीतर ही हमें निवेश या साझेदारी के प्रस्ताव मिल गए हैं। स्पेन और स्वीडन में भारत के दूतावास भी निवेश रोड शो में शामिल कंपनियों के प्रस्तावों पर तेजी से काम कर रहे हैं।''

राजकमल ने बताया कि निकट भविष्य में जापान, ताइवान और ऑस्ट्रेलिया में भी निवेश के अवसर भी तलाशे जाएंगे। झारखंड में रोड शो के माध्यम से निवेशकों तक पहुंचने का आखिरी प्रयास 2016-17 में किया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य पिछले करीब नौ वर्ष से वैश्विक स्तर पर निवेश को सक्रिय रूप से बढ़ावा नहीं दे रहा है, जो राज्य में एफडीआई के न्यूनतम प्रवाह का एक कारण है। राजकमल ने बताया कि वित्त वर्ष 2016-17 और 2018-19 के बीच झारखंड को करीब 100 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मिला था। 2019-20 और 2020-21 में एफडीआई बढ़कर करीब 13,000 करोड़ रुपये हो गया, जिसका मुख्य कारण एक खनन परियोजना के लिए एक ही कंपनी द्वारा किया गया बड़ा निवेश था। हालांकि, वन मंजूरी संबंधी समस्याओं के कारण यह परियोजना अभी तक मूर्त रूप नहीं ले पाई है। इस निवेश को छोड़कर, झारखंड को 2021-22 से 2023-24 तक कोई महत्वपूर्ण निवेश प्रस्ताव नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा देने के लिए यूरोपीय देशों की यात्रा करना समय की मांग है।

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