बच्चों को HIV संक्रमित खून चढ़ाने पर झारखंड HC सख्त, स्वास्थ्य विभाग को लगाई फटकार

Edited By Khushi, Updated: 31 Oct, 2025 06:30 PM

jharkhand high court takes strict action against hiv infected blood transfusions

Ranchi News: झारखंड उच्च न्यायालय ने खून चढ़ाने से 5 बच्चों के कथित रूप से एचआईवी से संक्रमित हो जाने पर राज्य सरकार को रक्त आधान के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का पालन नहीं करने को लेकर फटकार लगाई।

Ranchi News: झारखंड उच्च न्यायालय ने खून चढ़ाने से 5 बच्चों के कथित रूप से एचआईवी से संक्रमित हो जाने पर राज्य सरकार को रक्त आधान के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का पालन नहीं करने को लेकर फटकार लगाई।

मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस विषय का जनहित याचिका के रूप में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य सचिव अजय कुमार सिंह को फटकार लगाई। कहा, खबर है कि चाईबासा जिले में पांच बच्चों को खून चढ़ाया गया और इसके बाद वे एचआईवी पॉजिटिव पाए गए। ये बच्चे थैलेसीमिया के मरीज थे और चाईबासा के सदर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे थे। इलाज के तहत उन्हें खून चढ़ाया गया। इस साल अगस्त और सितंबर में अलग-अलग तारीखों पर इन बच्चों को रक्त चढ़ाया गया था। खंडपीठ ने कहा कि सरकार को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को एक हलफनामा दाखिल कर राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों में आयोजित रक्तदान शिविरों का विवरण पीठ को बताने का निर्देश दिया।

अदालत ने अस्पतालों में रक्त की मांग और ‘ब्लड बैंकों' द्वारा उपलब्ध कराई गई मात्रा के बारे में भी जानकारी मांगी। अदालत ने विभाग को राष्ट्रीय रक्त नीति के अनुसार तैयार की जाने वाली मानक संचालन प्रक्रिया पीठ के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान, पीठ ने सरकार को यह बताने का आदेश दिया कि अस्पतालों में ‘न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (एनएटी)' करने के लिए उन्नत स्क्रीनिंग मशीनें क्यों नहीं लगाई गई हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अतुल गेरा ने अदालत को बताया कि किसी मरीज को रक्त चढ़ाने से पहले उसकी गुणवत्ता निर्धारित करने और एचआईवी की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एनएटी आवश्यक है।

इससे पहले, अदालत ने थैलेसीमिया से पीड़ित एक बच्चे के माता-पिता द्वारा लिखे गए पत्र के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका की सुनवाई शुरू की थी। इस बच्चे को कथित रूप से संक्रमित रक्त चढ़ाया गया था। कथित तौर पर, बच्चे को दूषित रक्त के माध्यम से एचआईवी संक्रमण हुआ था, जिसके बाद उसके पिता ने मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था। मुख्य न्यायाधीश ने इसे एक जनहित याचिका में बदल दिया था। झारखंड सरकार ने 26 अक्टूबर को पश्चिमी सिंहभूम के सिविल सर्जन और अन्य संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया था, जब यह बात सामने आई कि चाईबासा में थैलेसीमिया से पीड़ित पांच बच्चों को रक्त चढ़ाने के बाद उनकी एचआईवी जांच पॉजिटिव आई थी।

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