Edited By Khushi, Updated: 15 May, 2025 09:06 AM

जमशेदपुर: झारखंड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति ने बीते बुधवार को पूर्वी सिंहभूम जिला समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया और राज्य के स्कूलों में बांग्ला भाषा के शिक्षकों और पाठ्यपुस्तकों की कथित कमी को लेकर विरोध दर्ज कराया।
जमशेदपुर: झारखंड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति ने बीते बुधवार को पूर्वी सिंहभूम जिला समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया और राज्य के स्कूलों में बांग्ला भाषा के शिक्षकों और पाठ्यपुस्तकों की कथित कमी को लेकर विरोध दर्ज कराया।
झारखंड के बंगाली समुदाय के 100 से अधिक संगठनों की केंद्रीय समिति के कार्यकर्ताओं ने रांची में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलने के प्रस्ताव का भी विरोध किया। प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को संबोधित एक ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा गया, जिसमें मांग की गई कि स्कूलों में बांग्ला पढ़ाई जाए और भाषा की पर्याप्त पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जाएं। समिति की पूर्वी सिंहभूम इकाई के महासचिव जूरन मुखर्जी ने राज्य में बांग्ला भाषी छात्रों के बारे में कथित भ्रामक टिप्पणी के लिए शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन की आलोचना की। समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर उन्हें झारखंड में बांग्ला भाषा के छात्रों के समक्ष आ रही समस्याओं से अवगत कराया था।
मुखर्जी ने एक बयान में कहा कि बैठक के दौरान सोरेन ने कहा था कि वहां कोई बांग्ला भाषी छात्र नहीं है और उन्होंने समिति से ऐसे छात्रों को स्कूलों में लाने को कहा, फिर सरकार उन्हें पाठ्यपुस्तकें और शिक्षक उपलब्ध कराएगी। बयान में कहा गया, “यह पूरी तरह गलत और भ्रामक है। उनकी टिप्पणी से समाज में व्यापक विरोध पैदा हो गया है।” मुखर्जी ने दावा किया कि राज्य के 24 जिलों में से 16 जिले में मुख्यतः बांग्ला भाषी हैं, जबकि हर स्कूल में बांग्ला भाषी छात्र मौजूद हैं। समिति ने आरोप लगाया कि ढाई दशक पहले अलग झारखंड राज्य बनने के बाद से बांग्ला भाषा को हाशिये पर धकेलने की जानबूझकर साजिश रची जा रही है।