बिहार के पूर्व मंत्री हत्याकांड में पूर्व विधायक को बड़ा झटका, SC ने उम्रकैद की सजा रखी बरकरार

Edited By Ramanjot, Updated: 15 May, 2025 04:43 PM

brijbihariji murder case sc upholds life sentence of former mla munna shukla

पिछले साल तीन अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने शुक्ला और मंटू तिवारी को मामले में दोषी ठहराया था। पीठ ने छह मई के आदेश में रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए कहा, "हमें तीन अक्टूबर, 2024 के फैसले की समीक्षा करने के लिए कोई अच्छा आधार और कारण...

नई दिल्ली/पटनाः उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने 1998 में पटना में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या (Brij Bihari Prasad Murder Case) के जुर्म में अपराधी से नेता बने विजय कुमार शुक्ला उर्फ ​मुन्ना शुक्ला को दी गई आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है। पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार तथा न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने शुक्ला और एक सह-दोषी की शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा संबंधी वाली याचिका खारिज कर दी।

पिछले साल तीन अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने शुक्ला और मंटू तिवारी को मामले में दोषी ठहराया था। पीठ ने छह मई के आदेश में रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए कहा, "हमें तीन अक्टूबर, 2024 के फैसले की समीक्षा करने के लिए कोई अच्छा आधार और कारण नहीं मिलता है।" यह फैसला हाल में अपलोड किया गया है। न्यायालय ने समीक्षा याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की प्रार्थना भी खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करने के पटना उच्च न्यायालय के फैसले को आंशिक रूप से खारिज कर दिया और दोषी पूर्व विधायक शुक्ला और तिवारी को आजीवन कारावास की सजा भुगतने के लिए 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा। 

पीठ ने शुक्ला और तिवारी दोनों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302, धारा 34 के तहत 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था और इसके अलावा आईपीसी की धारा 307, धारा 34 के तहत पांच साल के कठोर कारावास की सजा के साथ ही 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत पांच अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ दिया और मामले में उन्हें बरी करने के उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक प्रभावशाली नेता एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद रमा देवी के पति बृज बिहारी प्रसाद की गोरखपुर के गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला द्वारा हत्या की घटना ने बिहार और उत्तर प्रदेश की पुलिस को हिलाकर रख दिया था। श्रीप्रकाश शुक्ला बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और अन्य के साथ मुठभेड़ में मारा गया था। 

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘बृज बिहारी प्रसाद और लक्ष्मेश्वर साहू (प्रसाद के अंगरक्षक) की हत्या के लिए मंटू तिवारी और विजय कुमार शुक्ला उर्फ ​​मुन्ना शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 34 के तहत आरोप उचित संदेह से परे साबित हो चुके हैं।'' पीठ ने कहा कि मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 307, धारा 34 के तहत हत्या के प्रयास के आरोप भी साबित हो चुके हैं और उचित संदेह से परे साबित हो चुके हैं। दो अन्य आरोपियों भूपेंद्र नाथ दुबे और कैप्टन सुनील सिंह की कार्यवाही के दौरान मृत्यु हो गई। मंटू तिवारी, रमा देवी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी देवेंद्रनाथ दूबे का भांजा है। भूपेंद्र नाथ दुबे और देवेंद्रनाथ दूबे भाई थे। 

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की तत्कालीन उम्मीदवार रमा देवी के खिलाफ समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे देवेंद्र नाथ दुबे की 23 फरवरी, 1998 को मोतिहारी लोकसभा क्षेत्र के लिए पुनर्मतदान से एक दिन पहले हत्या कर दी गई थी और इस मामले में बृज बिहारी प्रसाद और अन्य को आरोपी बनाया गया था। मामला सात मार्च, 1999 को सीबीआई को सौंपा गया था और केंद्रीय एजेंसी ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और तीन अन्य को अपराध के साजिशकर्ता के रूप में नामजद किया था। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि 13 जून 1998 को प्रसाद की हत्या से पहले पटना के बेउर जेल में सूरजभान सिंह, मुन्ना शुक्ला, लल्लन सिंह और राम निरंजन चौधरी के बीच एक बैठक हुई थी। उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई 2014 को सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था और निचली अदालत के 12 अगस्त 2009 के आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें सभी को दोषी ठहराया गया था और सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Lucknow Super Giants

Royal Challengers Bengaluru

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!