सावधान! बिहार के इस जिले में साइबर ठगी बनी धंधा, फंसते जा रहे बेरोजगार युवा

Edited By Swati Sharma, Updated: 23 Apr, 2025 04:08 PM

cyber fraud has become a business in this district of bihar

Motihari Crime News: बिहार के चंपारण को ‘अपहरण' जैसे वारदातों से राहत मिले अभी दो-चार दशक ही बीते होंगे कि साइबर से जुड़े अपराध की दुनिया बेरोजगार युवाओं को तेजी से अपनी ओर आकर्षित करने लगी है। भारत-नेपाल की खुली सीमा और चंपारण के गांवों में पसरी...

Motihari Crime News: बिहार के चंपारण को ‘अपहरण' जैसे वारदातों से राहत मिले अभी दो-चार दशक ही बीते होंगे कि साइबर से जुड़े अपराध की दुनिया बेरोजगार युवाओं को तेजी से अपनी ओर आकर्षित करने लगी है। भारत-नेपाल की खुली सीमा और चंपारण के गांवों में पसरी बेरोजगारी ने अपराध के इस रूप को ‘अंतररष्ट्रीय' स्वरूप दिया है। साइबर अपराध  (Cyber ​​Fraud) के केंद्र में नेपाल है और इसके तार पाकिस्तान, चीन, मलेशिया और कम्बोडिया से जुड़े हैं। सीमा क्षेत्र के सैकड़ों बेरोजगार और बेकार युवाओं के लिए अपराध का यह नया रूप कमाई का ‘धंधा' बन गया है। ‘अपहरण उद्योग' से मिली चार दशक की शांति के बाद फिर से अपराध के इस बदले स्वरूप ने युवाओं को अपनी तरफ दिल लगाने और रोजगार पाने के लिए आकर्षित किया है।

लंबे समय के बाद एक बार फिर से संगठित अपराध की दुनिया में चंपारण का नाम गूंज रहा है। अस्सी के दशक का वो जमाना आज भी सिहरन पैदा करता है, जब अपहरण ने यहां उद्योग का दर्जा पाया था। तब सरकार को 1985 में 'ब्लैक पैंथर' अभियान चलाना पड़ा था। उस समय की सरकार के मुखिया बिंदेश्वरी दुबे हुआ करते थे। पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) ज्योति कुमार सिन्हा के नेतृत्व में महीनों सशत्र पुलिस जंगलों और पहाड़ों की खाक छानती रही। कई इनकाउंटर हुए। तब जाकर राहत की उम्मीद जगी लेकिन तब तक अपराध का यह उद्योग चंपारण के जंगलों और पहाड़ों से निकल कर ‘अंतर्देशीय' रूप ले चुका था। ठीक उसी तरह साइबर अपराध ने यहां की मिट्टी में अपने स्वरूप को बदल कर उसमें ‘अंतररष्ट्रीय' अध्याय को जोड़ा है। जाने क्या बात है इस मिट्टी में ‘अपहरण' जुड़ा तो ‘उद्योग' हो गया और अब ‘साइबर अपराध' जुड़कर ‘धंधा' बन गया है।  अस्सी के दशक में चंपारण के खेतों में खड़ी गन्ना की फसलें अपहरण को उद्योग में बदलने के लिए उचित वातावरण पैदा कर रही थीं। आज चंपारण के गांवों में खड़ी है ‘बेरोजगारों की युवा फौज', जो साइबर अपराध की दुनिया को अपनी मुट्ठी में कैद करने को बेताब हैं। पिछले कुछ वर्षों में लगातार हुई ऐसी गिरफ्तारियों में संयुक्त रूप से चंपारण के पूर्वी और पश्चिमी भाग का नाम सुर्खियों में रहा। 16 मार्च 2024 को मुजफ्फरपुर में 6 साइबर ठग गिरफ्तार किए गए थे, जिनमें से दो अरशद आलम और अमजद आलम, पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया थाना के सरैया मुन्नी इनार निवासी हैं। तीन महीने बाद 24 जून 2024 को कटिहार पुलिस ने प्रदेश की राजधानी पटना से पश्चिम चंपारण के जौकटिया निवासी नेस्ताक आलम और पूर्वी चंपारण के नौरंगिया की रहने वाली ईशा कुमारी को गिरफ्तार किया।  

पूर्वी चंपारण की पुलिस ने सितंबर 2024 में अरेराज यूनियन बैंक के पास से धनंजय, मिंटू और राकेश को साइबर अपराध में गिरफ्तार किया। फरवरी 2025 के मध्य में नेपाल में 24 साइबर अपराधी गिरफ्तार किए गए। इनमें से 10 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से दो अनीश शेख और मनीष कुमार पूर्वी चंपारण के रहने वाले हैं। जनवरी 2025 में बिहार शरीफ पुलिस ने बेतिया से सुजीत कुमार, संजय कुमार एवं संदीप शर्मा को साइबर अपराध में पकड़ा था। इसी महीने में बेतिया की साइबर पुलिस ने तीन अपराधियों विक्की, संदीप और विजय को गिरफ्तार किया। इसी वर्ष फरवरी में नसीम, राजेन्द्र और अमन को बेतिया पुलिस ने साइबर अपराध के आरोप में गिरफ्तार किया। नयी गिरफ्तारी 17 अप्रैल को पूर्वी चंपारण के पहाड़पुर सिसवा बाजार से हुई है। पुलिस ने छह साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। इन तमाम मामलों में पुलिस को बड़ी संख्या में बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड, लैपटॉप और मोबाइल फोन मिले हैं।        

इन सभी गिरफ्तारियों में कई समानताएं, जैसे कि अपराध का तरीका, अपराध संचलन के केंद्र में नेपाल का होना, बैंक खाता का एक ही तरीका से इस्तेमाल, संगठित रूप से संचालन और गिरोह का एक समान विदेशी कनेक्शन (पाकिस्तान, चीन, मलेशिया और कम्बोडिया) पाया गया हैं। इस क्षेत्र के तमाम साइबर अपराधों का संचालन नेपाल से होता रहा है। इनमें चीनी नागरिकों की भी संलिप्तता पाई गई, लेकिन एक बात खास रही कि हर गिरफ्तारी में चंपारण का कोई न कोई युवक शामिल रहा। हाल में 17 अप्रैल को हुई छह साइबर ठगों की गिरफ्तारी से फिर से सुर्खी में आए चंपारण पूर्वी भाग के पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात ने साइबर अपराध के सम्बंध में बताया, ‘‘बदमाशों के पास से मिले पासबुक से अबतक करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा किए जाने के सबूत मिले हैं। ठगी के पैसों को यह गिरोह क्रिप्टो कैरेंसी खरीद कर डॉलर में तब्दील करता है। यह गिरोह बिमेन एप के द्वारा यूएसडीटी में बदलकर क्राप्ट ट्रेडिंग करता है।'' 

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