चीनी उत्पादन में जल्द ही तीसरे स्थान पर होगा बिहार! राज्य में पहली बार 81 गुड़ इकाइयों के लिए 1240 लाख रुपए स्वीकृत

Edited By Ramanjot, Updated: 25 Sep, 2024 05:37 PM

first time in bihar rs 1240 lakhs were sanctioned for 81 jaggery units

बिहार राज्य गुड़ उद्योग प्रोत्साहन कार्यक्रम-राज्य में पहली बार बिहार राज्य गुड़ उद्योग प्रोत्साहन की स्वीकृति प्रदान की गयी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 81 गुड़ इकाइयों की स्थापना के लिए मो. 1240.00 (बारह करोड़ चालीस लाख) रूपये की स्वीकृति प्रदान...

पटना: राज्य में पहली बार बिहार राज्य गुड़ उद्योग प्रोत्साहन के साथ 81 गुड़ इकाइयों के लिए 1240 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं और राज्य के चीनी मिलों में पेराई क्षमता लगभग दूनी होने से गन्ना उद्योग में व्यापक संभावनाएं दिख रही है। इसके फलस्वरूप चीनी उत्पादन में बिहार अभी देश में पांचवें स्थान पर है और जल्द ही तीसरे स्थान पर कायम होगा।

आज दिनांक 25 सितम्बर, 2024 को सूचना भवन के संवाद 'कक्ष' में आयोजित गन्ना उद्योग विभाग के संवाददाता सम्मेलन के दौरान मंत्री, गन्ना उद्योग विभाग कृष्ण नंदन पासवान ने उपर्युक्त बातें कहीं। विभाग की गतिविधियों की जानकारी उन्होंने निम्नवत् दी :-

बिहार राज्य गुड़ उद्योग प्रोत्साहन कार्यक्रम-राज्य में पहली बार बिहार राज्य गुड़ उद्योग प्रोत्साहन की स्वीकृति प्रदान की गयी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 81 गुड़ इकाइयों की स्थापना के लिए मो. 1240.00 (बारह करोड़ चालीस लाख) रूपये की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। इस योजना में पारदर्शिता लाने हेतु ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उद्यमियों से आवेदन लेने की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जाएयगी। इसके लिए विभाग द्वारा केन केयर सॉफ्टवेयर का निर्माण किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत निम्नलिखित पूंजी अनुदान का प्रावधान किया गया है:-

5-20 टीसीडी (टन पेराई प्रतिदिन) की क्षमता की स्थापना पर लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 06 लाख रूपए तक, जो भी कम हो देय होगा।

21-40 टीसीडी (टन पेराई प्रतिदिन) की क्षमता स्थापना पर लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 15 लाख रूपए तक, जो भी कम हो देय होगा।

41-60 टीसीडी (टन पेराई प्रतिदिन) की क्षमता की स्थापना पर लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 45 लाख रूपए तक, जो भी कम हो देय होगा।

60 टीसीडी (टन पेराई प्रतिदिन) से अधिक क्षमता की स्थापना पर लागत का 20 प्रतिशत या 45 लाख रूपये, जो भी अधिक हो तथा अधिकतम 01 करोड रूपए तक।

500 लाख से अधिक के निवेश के लिए इकाईयों द्वारा लिए गए सावधि ऋण पर ब्याज आर्थिक सहायता सावधि ऋण पर 10 प्रतिशत ब्याज या सावधि ऋण के वास्तविक ब्याज के दर जो भी कम हो, पांच वर्षों की अवधि तक, अधिकतम ब्याज आर्थिक सहायता परियोजना लागत की 50 प्रतिशत तक होगा। व्याज आर्थिक सहायता उस अवधि की मूलधन राशि (ऋण का) के भुगतान करने पर बैंक को अर्द्धवार्षिक / वार्षिक आधार पर दी जाएगी।

चतुर्थ कृषि रोड मैप गन्ना राज्य का एक महत्वपूर्ण नगदी एवं वाणिज्यिक फसल है। कृषि आधारित उद्योगों में गन्ना आधारित चीनी उद्योग का एक महत्वपूर्ण स्थान है। गन्ना आधारित उद्योग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की आय में बढ़ोतरी संभव है। इन उद्योगों में बड़े पैमाने पर रोजगार का अवसर उपलब्ध होता है। राज्य सरकार गन्ना की खेती तथा गन्ना आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए कृषि रोड मैप कार्यक्रम लागू कर रही है। कृषि रोड मैप कार्यक्रम के कार्यान्वयन के फलस्वरूप राज्य में चीनी का उत्पादन वर्ष 2006-07 में 4.51 लाख मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 6.87 लाख मीट्रिक टन हो गया है। 

आगे ईख आयुक्त अनिल कुमार झा ने बताया कि वर्ष 2019-20 से रीगा चीनी मिल का परिचालन बंद हो गया। मिल की बंदी के बाद कालांतर में यह विषय एन.सी.एल.टी., कोलकाता द्वारा विचाराधीन रहा है। एन.सी.एल.टी.द्वारा नियुक्त Liquidator के द्वारा चार बार निविदा किया गया। चतुर्थ निविदा की प्रक्रिया के बाद मेसर्स निरानी सुगर्स को लेटर ऑफ इंटेंट जारी किया गया है। मेसर्स निरानी सुगर्स देश की प्रमुख चीनी उद्यम में से एक है। इसी पेराई सत्र से रीगा चीनी मिल के फिर से शुरू होने की संभावना बन गई है। इससे स्थानीय लोग काफी खुश हैं। इसके साथ ही उन्होंने विभाग की अन्य जानकारियां भी दी।


 

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