Edited By Ramanjot, Updated: 30 Nov, 2024 10:36 AM
मंत्री का यह बयान पश्चिमी चंपारण के सिकटा विधानसभा क्षेत्र के विधायक बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता द्वारा पेश किए गए एक निजी प्रस्ताव के जवाब में आया। उन्होंने कहा, ‘‘मंगलवार को विधानसभा ने बेतिया राज संपत्ति विधेयक पारित कर दिया, जिससे बेतिया एस्टेट की...
Bihar News: बिहार सरकार (Bihar Government) ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा को बताया कि वह बेतिया राज की स्वामित्व वाली जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ ‘उचित कार्रवाई' के लिए दस्तावेजों की जांच करेगी।
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल के अनुसार, हाल ही में विधानसभा में पारित 'बेतिया राज संपत्ति विधेयक, 2024' का उद्देश्य एस्टेट की विशाल भू-संपत्ति पर नियंत्रण करना है और एक बार अधिसूचित होने के बाद सरकार लगभग 15,358 एकड़ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करेगी जिसका मूल्य 7,960 करोड़ रुपए है। मंत्री का यह बयान पश्चिमी चंपारण के सिकटा विधानसभा क्षेत्र के विधायक बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता द्वारा पेश किए गए एक निजी प्रस्ताव के जवाब में आया। उन्होंने कहा, ‘‘मंगलवार को विधानसभा ने बेतिया राज संपत्ति विधेयक पारित कर दिया, जिससे बेतिया एस्टेट की विशाल भू-संपत्ति को अपने अधीन ले लिया जाएगा। अधिसूचना जारी होने के तुरंत बाद सरकार भूमि को अपने अधीन ले लेगी।''
मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार उन लोगों के राजस्व अभिलेखों की प्रामाणिकता का आकलन करेगी जो वर्षों से भूमि पर काबिज हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बेतिया एस्टेट के एक बड़े हिस्से - पश्चिमी चंपारण में 6,505 एकड़ के लगभग 66 प्रतिशत और पूर्वी चंपारण में 3,219 एकड़ के लगभग 60 प्रतिशत, पर अतिक्रमण किया गया है। बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैली यह जमीन अब औपचारिक रूप से सरकार द्वारा प्रबंधित और संरक्षित की जाएगी।
बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह का 26 मार्च 1893 को निधन हो गया था और उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। उनकी दो रानियां थीं महारानी शिव रत्ना कुंवर और महारानी जानकी कुंवर। महारानी शिव रत्ना कुंवर की मृत्यु 1896 में हुई थी। चूंकि कथित तौर पर पाया गया कि महारानी जानकी कुंवर बेतिया राज का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए इसका प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स' ने अपने हाथ में ले लिया था। महारानी जानकी कुंवर की मृत्यु 1954 में हो गई थी।