Edited By Swati Sharma, Updated: 18 Jul, 2025 02:40 PM

Land For Job Case: उच्चतम न्यायालय (SC) ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को झटका देते हुए ‘जमीन के बदले नौकरी' घोटाले से संबंधित उनकी याचिका पर सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार...
Land For Job Case: उच्चतम न्यायालय (SC) ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को झटका देते हुए ‘जमीन के बदले नौकरी' घोटाले से संबंधित उनकी याचिका पर सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। शीर्ष न्यायालय ने इस मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग वाली पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई करने से आज मना कर दिया।
लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने पर शीर्ष अदालत की शरण में गए थे। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने पूर्व रेल मंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के आरोपपत्र को रद्द करने की यादव की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय फैसला करेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने साथ ही, दिल्ली उच्च न्यायालय को मुख्य याचिका का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने हालांकि याचिकाकर्ता को राहत देते हुए कहा कि निचली अदालत में उनकी उपस्थिति की अनिवार्यता समाप्त की जा सकती है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 29 मई को यादव की निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी थी।
उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा था कि कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई ठोस कारण नहीं है। राजद अध्यक्ष ने अपनी याचिका में दावा किया कि निष्पक्ष जांच के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हुए ‘अवैध' और दुर्भावना से प्रेरित जांच के जरिए उन्हें परेशान किया जा रहा है। उन्होंने मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि नए सिरे से जांच शुरू करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी रद्द करने की यादव की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया था। इस मामले में उच्च न्यायालय 12 अगस्त को सुनवाई करेगा। सीबीआई ने 18 मई, 2022 को मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वर्ष 2004 से वर्ष 2009 के दौरान, यादव ने ग्रुप 'डी' रेलवे की नौकरियों के बदले अपने परिवार के लिए जमीन हासिल करने के लिए अपने (रेल) मंत्री पद का दुरुपयोग किया था।